संज्ञा, संज्ञा के भेद, लिंग–भेद, पुल्लिंग की पहचान, स्त्रीलिंग की पहचान, पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाना, लिंग–निर्णय के लिये एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम
संज्ञा (Noun)
किसी
वस्तु, प्राणी, स्थान, भाव, गुण, या स्थिति के नाम को संज्ञा कहते है । जैसे – सचिन, मोर, आगरा, कोमलता, ज्ञान, गरीबी आदि । ये सभी शब्द नाम है । नाम को ही संज्ञा कहते है ।
सचिन
व्यक्ति का नाम है, मोर प्राणी का नाम है, आगरा एक नगर का नाम है । कोमलता एक भाव का नाम, ज्ञान गुण का और गरीबी एक स्थिति का नाम है । ये सभी नाम संज्ञा शब्द कहलाते है ।
संज्ञा के भेद
संज्ञा
के मुख्य रुप से निम्नलिखित तीन भेद होते है –
१ . व्यक्तिवाचक संज्ञा २ . जातिवाचक संज्ञा ३ .
भाववाचक संज्ञा
१. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिस पद से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है । जैसे – गाँधी जी, अहमदाबाद, ताजमहल आदि ।
२.जातिवाचक संज्ञा – जिस पद से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, अथवा प्राणी के जातिसूचक नाम का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है । जैसे – आदमी, नगर, मकान आदि ।
३. भाववाचक संज्ञा – जिस संज्ञा पद से किसी स्थिति, गुण अथवा भाव से नाम का बोध होता हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है ।जैसे – सफलता, ममता, अमीरी, शक्ति आदि ।
कुछ
विद्वान अंग्रेजी व्याकरण के आधार पर संज्ञा के और भी दो भेद मानते है ।
१. द्र्व्यवाचक संज्ञा २. समूहवाचक संज्ञा
१. द्रव्यवाचक संज्ञा – जिन संज्ञा शब्दों से द्रव्य अथवा धातु का बोध होता है उन्हें द्रव्य वाचक संज्ञा कहते है ।इन संज्ञाओं को नापा या तोला जाता है । जैसे – सोना, चाँदी, दूध, तेल आदि ।
२. समूहवाचक संज्ञा – समूह के नाम का बोध कराने वाली संज्ञा को समूहवाचक अथवा समुदायवाचक संज्ञा कहते है ।जैसे – कक्षा, समाज, झुंड, भीड आदि ।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक के रुप में प्रयोग
व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग सदा एकवचन मे होता है, परन्तु जब कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति विशेष का बोध न कराके उस व्यक्ति के गुण दोषों वाले व्यक्तियों [अन्य] का बोध कराती है, तब वह संज्ञा व्यक्ति वाचक न रहकर जातिवाचक संज्ञा बन जाती है ।
जैसे:– १. कलियुग में हरिश्चन्द्रों की कमी नही है । यहाँ ‘हरिश्चन्द्र’ व्यक्तिवाचक संज्ञा उसके ‘सत्य’ और ‘निष्ठा’ के गुण को प्रगट करने से जातिवाचक संज्ञा बनी ।
२. हमें भारत में जयचन्द्रों पर कडी नजर रखनी चाहिये । यहाँ ‘जयचन्द’ शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा होते हुए भी उसके ‘विश्वासघात’ गुण को प्रकट करने के कारण अन्य व्यक्तियों का बोध कराती है । अत: यह जातिवाचक संज्ञा है ।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक के रुप मे प्रयोग
जब कोई जातिवाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति के लिये प्रयुक्त हो, तब वह जातिवाचक संज्ञा होते हुए भी व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है । जैसे:–
१. पंडितजी देश के लिये कई बार जेल गए । २. गाँधीजी ने देश के लिए अपना तन–मन–धन लगा दिया ।
यहाँ
‘पंडितजी ‘और ‘गाँधीजी ‘शब्द जातिवाचक होते हुए भी व्यक्ति विशेष अर्थात् पंडित जवाहरलाल नेहरु और महात्मा गाँधी के लिये प्रयुक्त हुए है ।अतः यहाँ ये दोनों शब्द व्यक्तिवाचक हो गए है ।
नोट :– १. जब कभी ‘द्रव्यवाचक ‘संज्ञा शब्द बहुवचन के रुप में द्रव्य के प्रकारों का बोध कराते है, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते है । जैसे – यह फर्नीचर कई प्रकार की लकडियों से बना है ।
२.जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते है, तब वे जातिवाचक संज्ञा शब्द बन जाते है । जैसे – क) बुराइयों से बचो । ख) हमारी दूरियाँ बढ़ती जा रही है ।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
भाववाचक संज्ञाएँ पाँच प्रकार के शब्दों से बनती है ।
१.संज्ञा शब्दों से भाववाचक
संज्ञा शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
संज्ञा शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
संज्ञा शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
संज्ञा शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
बाल
|
बालपन
|
देव
|
देवत्व
|
बालक
|
बालकपन
|
नारी
|
नारीत्व
|
लडका
|
लड़कपन
|
बच्चा
|
बचपन
|
स्त्री
|
स्त्रीत्व
|
मनुष्य
|
मनुष्यता
|
भार
|
भारीपन
|
पुरुष
|
पुरुषत्व
|
पशु
|
पशुत्व
|
मित्र
|
मित्रता
|
पंडित
|
पांडित्य
|
मानव
|
मानवता
|
किशोर
|
किशोरपन
|
दास
|
दासता
|
पंच
|
पंचायत
|
युवा
|
यौवन
|
शत्रु
|
शत्रुता
|
प्रभु
|
प्रभुता
|
बन्धु
|
बन्धुत्व
|
मीत
|
मिताई
|
क्षत्रिय
|
क्षत्रियत्व
|
विद्वान
|
विद्वत्ता
|
नर
|
नरत्व
|
शिशु
|
शैशव
|
गुरु
|
गुरुता
|
साधु
|
साधुता
|
ब्राह्मण
|
ब्राह्मणत्व
|
डाकु
|
डाका, डकैती
|
अमर
|
अमरत्व
|
सुजन
|
सौजन्य
|
इंसान
|
इंसानियत
|
ईश्वर
|
ईश्वर्य
|
क्षत्रिय
|
क्षत्रियत्व
|
चोर
|
चोरी
|
२.सर्वनाम शब्दों से भाववाचक
सर्वनाम शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
सर्वनाम शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
सर्वनाम शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
सर्वनाम शब्द
|
भाववाचक संज्ञा
|
निज
|
निजत्व
|
पराया
|
परायापन
|
अपना
|
आपा
|
अपना
|
अपनत्व, अपनापन
|
मम
|
ममत्व
|
अहम्
|
अहंकार
|
३.विशेषण से भाववाचक
विशेषण
|
भाववाचक संज्ञा
|
विशेषण
|
भाववाचक संज्ञा
|
विशेषण
|
भाववाचक संज्ञा
|
विशेषण
|
भाववाचक संज्ञा
|
निर्बल
|
निर्बलता
|
रिक्त
|
रिक्तता
|
सुन्दर
|
सुन्दरता
|
चतुर
|
चतुरता
|
प्रवीण
|
प्रवीणता
|
मधुर
|
मधुरता
|
सफल
|
सफलता
|
तीक्ष्ण
|
तीक्ष्णता
|
कायर
|
कायरता
|
धीर
|
धीरता
|
कातर
|
कातरता
|
वाचाल
|
वाचालता
|
मीठा
|
मीठास
|
वक्र
|
वक्रता
|
सीतल
|
सीतलता
|
खट्टा
|
खटास
|
निपुण
|
निपुणता
|
उदार
|
उदारता
|
बुरा
|
बुराई
|
भला
|
भलाई
|
सरल
|
सरलता
|
वक्र
|
वक्रता
|
अच्छा
|
अच्छाई
|
छोटा
|
छुटपन
|
बड़ा
|
बड़प्पन
|
साधु
|
साधुत्व
|
नीचा
|
निचाई
|
ढीठ
|
ढिठाई
|
तीखा
|
तीखापन
|
लघु
|
लाघव
|
बाँका
|
बाँकपन
|
उँचा
|
उँचाई
|
उचित
|
औचित्य
|
चिकना
|
चिकनापन
|
बंध्या
|
बंध्यात्व
|
गंभीर
|
गंभीरता
|
जँगली
|
जंगलीपन
|
मूर्ख
|
मूर्खता
|
मूढ़
|
मूढ़्ता
|
आवश्यक
|
आवश्यकता
|
लम्बा
|
लम्बाई
|
मोटा
|
मोटाई
|
बूढ़ा
|
बुढ़ापा
|
राँड
|
रँडापा
|
४. क्रिया से भाववाचक
क्रिया
|
भाववाचक संज्ञा
|
क्रिया
|
भाववाचक संज्ञा
|
क्रिया
|
भाववाचक संज्ञा
|
क्रिया
|
भाववाचक संज्ञा
|
चलना
|
चाल
|
हँसना
|
हँसी
|
चढ़ना
|
चढ़ाई
|
देना
|
देन
|
पूजना
|
पूजा
|
लेना
|
लेन
|
कूदना
|
कूद
|
ठगना
|
ठगी
|
उतरना
|
उतराई
|
खेलना
|
खेल
|
सींचना
|
सिंचाई
|
थकना
|
थकान
|
रोना
|
रुलाई
|
कमाना
|
कमाई
|
जीना
|
जीवन
|
लूटना
|
लूट
|
बहना
|
बहाव
|
लिखना
|
लिखाई
|
उड़ना
|
उड़ान
|
काटना
|
कटाई
|
बहना
|
बहाव
|
सजना
|
सजावट
|
कोंधना
|
कोंध
|
चमकना
|
चमक
|
पहचानना
|
पहचान
|
भिड़ना
|
भिड़न्त
|
चुनना
|
चुनाव
|
नहाना
|
नहान
|
बनना
|
बनावट
|
गाना
|
गान
|
मिलना
|
मिलाप
|
पहनना
|
पहरावा
|
दौड़ना
|
दौड़
|
मुस्कराना
|
मुस्कराहट
|
थिरकना
|
थिरकन
|
पालना
|
पालन
|
चूकना
|
चूक
|
भूलना
|
भूल
|
बरसना
|
बारिश
|
धोना
|
धुलाई
|
रँगना
|
रँगाई
|
जीतना
|
जीत
|
रँगत
|
रंगाई
|
जागना
|
जागरण
|
हारना
|
हार
|
बौखलाना
|
बौखलाहट
|
बोना
|
बुवाई
|
माँगना
|
माँग
|
जाग्रत होना
|
जाग्रति
|
कहना
|
कहावत
|
५.विस्मयादिबोधक से भाववाचक
वाह
–वाह वाह-वाही हा-हा हाहाकार
लिंग–भेद
शब्द
के जिस रुप से यह बोध होता हो कि वह पुरुष जाति का है, अथवा स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते है । लिंग दो प्रकार के होते है -
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुरुष
जाति का
बोध कराने
वाले पुल्लिंग कहलाते है
। जैसे – दरवाजा, पंखा, कुत्ता, भवन, पिता,
भाई, शेर
आदि ।
|
स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्द स्त्रीलिंग कहलाते है । जैसे – खिड़्की, कुर्सी, लोमड़ी, झोंपड़ी, माता, बहन आदि ।
|
पुल्लिंग की पहचान
१. हिन्दी वर्णमाला ‘इ, ई, ऋ’ को छोड़कर सब वर्ण पुल्लिंग कहलाते है ।
२. अनाजों के नाम पुल्लिंग होते है । जैसे – गेहूँ, बाजरा, चावल, आदि, अपवाद – अरहर, मूँग, जुआर ।
३. दिनों और महिनों के नाम पुल्लिंग होते है । जैसे – रविवार, सोमवार, चैत, वैशाख आदि।
४. ग्रहों के नाम पुल्लिंग होते है ।जैसे – सूर्य, चन्द्र, राहु आदि । अपवाद – पृथ्वी ।
५. देशों के नाम पुल्लिंग होते है ।जैसे – भारत, चीन, जापान आदि ।
६. पर्वतों और समुद्रों के नाम पुल्लिंग होते है ।जैसे – हिमालय, हिन्दमहासागर आदि ।
७. प्राय; पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते है । जैसे – पीपल, शीशम आदि ।
८. द्रव्य पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते है । जैसे – लोहा, सोना, पानी, घी, तेल आदि ।अपवाद – मिट्टी, चाँदी ।
९. भारी, मोटी, भद्दी, वस्तुएँ प्राय; पुल्लिंग होती है । जैसे – गड्ढा, गट्ठर, शहतीर, रस्सा, कोल्हू, टीला आदि ।
१०.अकारान्त तत्सम संज्ञा शब्द पुल्लिंग होते है ।जैसे – धन, जल, फल आदि ।
११. हिन्दी की अकारान्त संज्ञाएँ प्रायः पुल्लिंग होती है । जैसे – छाता, बाजा, चमड़ा, गुस्सा आदि ।
१२.संस्कृत के वे शब्द जिनके अन्त मे ‘ख’ अथवा ‘ज’ आता हौ पुल्लिंग होते है । जैसे – सुख, दुख, जलज, अनुज आदि ।
१३.संस्कृत के वे शब्द जिनके अन्त मे ‘त्र’ आता है पुल्लिंग होते है । जैसे – शस्त्र, नेत्र, पात्र, चरित्र आदि ।
१४.अरबी, फारसी के ‘खाना’ प्रत्यय (पीछे लगने वाले) शब्द पुल्लिंग होते है । जैसे – दवाखाना, डाकखाना आदि ।
१५.अरबी, फारसी के दान प्रत्यय वाले शब्द पुल्लिंग होते है । जैसे – फूलदान, कमलदान आदि ।
१६.आ, आव, पा, पन, न –ये प्रत्यय जिन शब्दों के अन्त मे हों वे प्रायः पुल्लिंग होते है ।
१७.यात्रा के साधनों में – ताँगा, स्कूटर, ट्रक, इंजन, हवाईजहाज, राकेट आदि पुल्लिंग है।
१८.शरीर के अंग – हाथ, पैर, सिर, नाक, कान, बाल, माथा, कंठ, घुटना शब्द पुल्लिंग है ।
१९.वस्त्रों के नाम – रुमाल, कुर्ता, पाजामा, कोट, पेटीकोट, सूट, हैट, कच्छा, घाघरा, मोजे, दुपट्टा, गाउन शब्द पुल्लिंग है ।
२०.सब्जियाँ – शलगम, अदरक, टमाटर, आलू, कचालू, खीरा, बैंगन, मटर, प्याज, लहसुन, टिंडा करेला, नींबू, तरबुज, सिंघारा शब्द पुल्लिंग है ।
२१.नीचे लिखे समूहवाचक शब्द सदा पुल्लिंग में प्रयुक्त होते है –
दल, झुंड, समूह, ग्रुप, मंडल, जत्था, वर्ग, समाज, समुदाय, संघ ।
स्त्रीलिंग की पहचान
१. वर्णमाला के ‘इ, ई, ऋ’अक्षर स्त्रीलिंग है ।
२. नदियों के नाम स्त्रीलिंग है । जैसे –गंगा, गोदावरी, यमुना, सरस्वती आदि ।
अपवाद – सोन, ब्रह्मपुत्र, सतलज, व्यास, झेलम, सिन्धु ।
नोट- सोन, ब्रह्मपुत्र आदि के साथ नदी जोड़ने से वे स्त्रीलिंग मे प्रयुक्त होगें ।
३. स्त्रियों के नाम स्त्रीलिंग होते है । जैसे – रमा, दया, भावना, शिल्पा, दिव्या आदि ।
४. तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते है । जैसे – पहली, दूसरी आदि ।
५. भाषाओं के नाम स्त्रीलिंग होते है ।जैसे – हिन्दी, अँग्रेजी, संस्कृत आदि ।
६. नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते है ।जैसे – पृथ्वी, रोहिणी, अश्विनी आदि ।
७. आकारान्त तत्सम संज्ञाएँ प्राय; स्त्रीलिंग होती है । जैसे – समा, दया, भाषा, परीक्षा आदि ।
८. इकारान्त तत्सम संज्ञाएँ प्राय; स्त्रीलिंग होती है ।जैसे – अग्नि, शक्ति, जाति, हानि आदि ।
अपवाद – मति, कवि, रवि आदि ।
९. उकारान्त तत्सम संज्ञाएँ प्राय; स्त्रीलिंग होती है । जैसे – आयु, वायु, वस्तु आदि ।
१०. हिन्दी ईकारान्त संज्ञाएँ प्राय; स्त्रीलिंग होती है । जैसे- नदी, चाँदी, हँसी, बोली आदि ।
अपवाद – मोती, पानी, घी, हाथी आदि ।
११. ‘इमा’ तद्धित प्रत्यय वाले संस्कृत शब्द स्त्रीलिंग होते है । जैसे – महिमा, गरिमा आदि ।
संस्कृत के ‘या’ अथवा ‘सा’ वाले शब्द स्त्रीलिंग होते है । जैसे – विद्या, क्रिया, पिपासा, मिमांसा आदि।
१२. संस्कृत की वे संज्ञाएँ जिनके अन्त मे ‘अना’ प्रत्यय होता है स्त्रीलिंग कहलाती है । जैसे – भावना, सुचना आदि ।
१३. हिन्दी की धातुओं से ‘अ’ प्रत्यय लगाकर बनी संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती है । जैसे – चहक, कूक, पकड़, पहुँच आदि ।
अपवाद – खेल, नाँच, बोल, मेल उतार आदि ।
१४. अरबी फारसी के शब्द जिनके अन्त मे ‘श’ प्रत्यय होता है, स्त्रीलिंग होते है । जैसे – पालिश, मालिश, तलाश आदि ।
१५. अरबी फारसी के शब्द जिनके अन्त मे ‘त’ प्रत्यय होता है, स्त्रीलिंग होते है । जैसे– इज्जत, कीमत, नफरत, दौलत आदि।
१६. अरबी फारसी की वे संज्ञाएँ जिनके अन्त मे ‘आ’ अथवा ‘ह’ होता है ,स्त्रीलिंग होती है । जैसे – दया, हवा, राह, माह आदि ।
१७. वे भाववाचक संज्ञाएँ जिनके अन्त मे ‘ट’ ‘बट’ या ‘हट’ होता है ,स्त्रीलिंग होती है । जैसे – खटपट, सरपट, बनावट, लिखावट, चिल्लाहट आदि ।
१८. स्त्रीलिंग प्राणी शब्द - कोयला, चील, मैना आदि ।
१९. नीचे लिखे संस्कृत के शब्द हिन्दी मे सदा स्त्रीलिंग मे पयुक्त होते है – विधि, तिथि, निधि, विजय, महिमा, मृत्यु, राशि, ऋण, मणि, अग्नि, समाधि, समिति, सभा, संसद, पुलिस, सेना, भीड़, जनता, पार्टी, कक्षा, जाति, कांग्रेस आदि ।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाना
अकारान्त व आकारान्त पुल्लिंग शब्दों के अन्तिम ‘अ’ या ‘आ’ मे प्राय; ‘ई’ प्रत्यय लगाने से स्त्रीलिंग बनता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
देव
|
देवी
|
बेटा
|
बेटी
|
पुत्र
|
पुत्री
|
दादा
|
दादी
|
मौसा
|
मौसी
|
नाना
|
नानी
|
चाचा
|
चाची
|
लड़का
|
लड़की
|
नर
|
नारी
|
सुन्दर
|
सुन्दरी
|
बकरा
|
बकरी
|
ब्राह्मण
|
ब्राह्मणी
|
१. कुछ ‘आकारान्त’ पुल्लिंग शब्दों के अन्तिम ‘आ’ को ‘इया’ लगा दिया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
बूड्ढा
|
बुढिया
|
बेटा
|
बिटिया
|
गुड्डा
|
गुड़िया
|
बच्छा
|
बछिया
|
बन्दर
|
बन्दरिया
|
लोटा
|
लुटिया
|
कुत्ता
|
कुतिया
|
चूहा
|
चुहिया
|
२. व्यवसाय बताने वाले शब्दों के अन्त मे ‘इन’ प्रत्यय लगाने से स्त्रीलिंग बनते है ।
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
सुनार
|
सुनारिन
|
पुजारी
|
पुजारिन
|
भंगी
|
भंगिन
|
नाई
|
नाइन
|
माली
|
मालिन
|
दर्जी
|
दर्जिन
|
लुहार
|
लुहारिन
|
धोबी
|
धोबिन
|
ग्वाला
|
ग्वालिन
|
जुलाहा
|
जुलाहिन
|
चमार
|
चमारिन
|
तेली
|
तेलिन
|
पंडा
|
पंडाइन
|
मालिक
|
मालकिन
|
चौबा
|
चौबाइन
|
कहार
|
कहारिन
|
३. कुछ संज्ञा शब्दो के अन्त मे ‘आनी’ लगाया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
मुगल
|
मुगलानी
|
भव
|
भवानी
|
मेहतर
|
मेहतरानी
|
पठान
|
पठानी
|
इन्द्र
|
इन्द्रानी
|
देवर
|
देवरानी
|
सेठ
|
सेठानी
|
नौकर
|
नौकरानी
|
४. उपजातिवाचक शब्द प्राय; ‘आइन’ प्रत्यय लगाते है और पहले स्वर को ह्रस्व कर देते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
गुरु
|
गुरुआइन
|
मल्ला
|
मुल्लाइन
|
दुबे
|
दुबाइन
|
ठाकुर
|
ठकुराइन
|
बाबू
|
बबुआइन
|
पंडित
|
पंडिताइन
|
चौबे
|
चौबाइन
|
लाला
|
लालाइन
|
५. कुछ पशु पक्षियों के पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग मे परिवर्तित करने के लिए अन्त मे ‘नी’ लगाते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
सिंह
|
सिंहनी
|
उँट
|
उँट्नी
|
हंस
|
हंसनी
|
हाथी
|
हथिनी
|
शेर
|
शेरनी
|
मोर
|
मोरनी
|
कबुतर
|
कबुतरनी
|
बाघ
|
बाघिन
|
६. संस्कृत की कुछ संज्ञाओं मे अन्तिम ‘अ’ को ‘आ’ कर देते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
वृद्ध
|
वृद्धा
|
प्रिय
|
प्रिया
|
शिष्य
|
शिष्या
|
सुत
|
सुता
|
मूर्ख
|
मूर्खा
|
महाशय
|
महाशया
|
बाल
|
बाला
|
आचार्य
|
आचार्या
|
७. कुछ संज्ञा शब्दों के अन्त मे ‘ई’ के स्थान पर ‘इनी’ प्रत्यय लगाते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
तपस्वी
|
तपस्विनी
|
अभिमानी
|
अभिमानिनी
|
एकाकी
|
एकाकिनी
|
स्वामी
|
स्वामिनी
|
यशस्वी
|
यशस्विनी
|
मनोहर
|
मनोहारिनी
|
८. कुछ ‘अक’ अन्त वाले संज्ञा शब्दों के स्थान पर ‘इका’ लगाया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
बालक
|
बालिका
|
लेखक
|
लेखिका
|
शिक्षक
|
शिक्षिका
|
अध्यापक
|
अध्यापिका
|
गायक
|
गायिका
|
पाठक
|
पाठिका
|
याचक
|
याचिका
|
दर्शक
|
दर्शिका
|
सेवक
|
सेविका
|
नायक
|
नायिका
|
९. अन्तिम ‘ता’ वाले शब्दों के स्थान पर ‘त्री’ लगाया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
भर्ता
|
भर्त्री
|
दाता
|
दार्त्री
|
कर्ता
|
कर्त्री
|
नेता
|
नेत्री
|
१०. कुछ संज्ञा शब्दों के अन्त मे ‘आन’ के स्थान पर ‘अती’ लगाया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
बलवान
|
बलवती
|
प्रज्ञावान
|
प्रज्ञावती
|
महान
|
महती
|
रुपवान
|
रुपवती
|
गुणवान
|
गुणवती
|
बुद्धिमान
|
बुद्धिमति
|
पुत्रवान
|
पुत्रवती
|
श्रीमान
|
श्रीमति
|
भगवान
|
भगवती
|
धनवान
|
धनवती
|
११. कुछ संज्ञा शब्दों के रुप बिलकुल बदल दिए जाते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
वर
|
वधू
|
बाप
|
माँ
|
पिता
|
माता
|
विद्वान
|
विदुषी
|
बैल
|
गाय
|
भाई
|
बहन
|
सास
|
ससुर
|
सम्राट
|
साम्राज्ञी
|
राजा
|
रानी
|
युवक
|
युवती
|
आदमी
|
औरत
|
कवि
|
कवयित्री
|
१२. कुछ शब्दों मे ‘नर’ और ‘मादा’ शब्द लगाया जाता है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
कौवा
|
मादा कौवा
|
नर मक्खी
|
मक्खी
|
नर कोयल
|
कोयल
|
खरगोश
|
मादा खरगोश
|
नर चींटी
|
चींटी
|
नर चीता
|
चीता
|
भेड़िया
|
मादा भेड़िया
|
चील
|
मादा चील
|
१३. कहीं-कहीं स्त्रीलिंग शब्दों मे ‘आ’ ‘आव’ ‘उआ’ ‘ओई’ प्रत्यय लगाने से पुरुष वाचक बन जाते है –
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
पुल्लिंग
|
स्त्रीलिंग
|
बहनोई
|
बहन
|
रडुँआ
|
राँड
|
ननदोई
|
ननद
|
बिलाव
|
बिल्ली
|
विधुर
|
वधवा
|
भैसा
|
भैस
|
१४. नीचे लिखे शब्द पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग दोनों मे एक समान प्रयुक्त होते है – मित्र, शिशु, पवन, बर्फ, ग्राहक, चित्रकार, श्वास, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, डाक्टर, प्रिंसिपल, मैनेजर ।
लिंग–निर्णय के लिये एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम
जिस
शब्द का लिंग –निर्णय करना हो, उसे बहुवचन में बदलकर देखें कि उसके अन्त मे ‘आँ’ अथवा ‘एँ’ आ रहा है या नही । यदि ‘आँ’ या ‘एँ’ आ रहा है तो शब्द स्त्रीलिंग होगा; यदि नही आ रहा है; तो पुल्लिंग होगा । उदाहरण के लिये निम्नलिखित तालिका देखिए –
शब्द
|
बहुवचन रुप
|
एँ अथवा आँ है या नही
|
निर्णय
|
दरवाजा
|
दरवाजे
|
अन्त मे ‘एँ’ या ‘आँ’ नही है ।
|
पुल्लिंग
|
खिड़की
|
खिड़कियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आता है ।
|
स्त्रीलिंग
|
कुर्सी
|
कुर्सियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
पंखा
|
पंखे
|
अन्त मे ‘एँ’ या ‘आँ’ नही आया ।
|
पुल्लिंग
|
मेज
|
मेजें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
पुस्तक
|
पुस्तकें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है।
|
स्त्रीलिंग
|
रोटी
|
रोटियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आयाहै ।
|
स्त्रीलिंग
|
सब्जी
|
सब्जियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
पेंसिल
|
पेंसिलें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
दीवार
|
दीवारें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
दूध
|
दूध
|
अन्त मे ‘एँ’ नही आया ।
|
पुल्लिंग
|
पानी
|
पानी
|
अन्त मे ‘एँ’ नही आया ।
|
पुल्लिंग
|
हवा
|
हवाएँ
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
चादर
|
चादरें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
कार
|
कारें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
मोटर
|
मोट्रें
|
अन्त मे ‘एँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
कटोरी
|
कटोरियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
लोटा
|
लोटे
|
‘एँ या ‘आँ’ नही आया ।
|
पुल्लिंग
|
थाली
|
थालियाँ
|
अन्त मे ‘आँ’ आया है ।
|
स्त्रीलिंग
|
COMMENTS