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लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-1)

लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-1), प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ

लोकोक्तियाँ (कहावतें)-

    लोकोक्ति का अर्थ है, लोक की उक्ति अर्थात् जन-कथन। लोकोक्तियाँ अथवा कहावतें लोक-जीवन की किसी घटना या अन्तर्कथा से जुड़ी रहती हैं। इनका जन्म लोक-जीवन में ही होता है। प्रत्येक लोकोक्ति समाज में प्रचलित होने से पूर्व में अनेक बार लोगों के अनुभव की कसौटी पर कसी गई है और सभी लोगों के अनुभव उस लोकोक्ति के साथ एक से रहे हैं, तब वह कथन सर्वमान्य रूप से हमारे सामने है। लोकोक्तियाँ दिखने में छोटी लगती हैं, परन्तु उनमें अधिक भाव रहता है। लोकोक्तियों के प्रयोग से रचना में भावगत विशेषता जाती है।

प्रमुख लोकोक्तियाँ उनका अर्थ


- अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
- छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
- अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
- परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
- अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे
- मूल वस्तु रहने पर उससे बनने वाली वस्तुएँं मिल ही जाती हैं।
- अंत भला सो सब भला
- कार्य का परिणाम सही हो जाए तो सारी गलतियाँ भुला दी जाती हैं।
- अंत भले का भला
- भलाई करने वाले का भला ही होता है।
- अंधा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को देय
- अपने अधिकार का लाभ अपने लोगों को ही पहुँचाना।
- अंधा क्या चाहे, दो आँखें
- मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
- अंधा क्या जाने बसंत बहार
- जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
- अंधा पीसे कुत्ता खाय
- एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है।
- अंधा बगुला कीचड़ खाय
- भाग्यहीन को सुख नहीं मिलता।
- अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
- बराबर वाली जोड़ी बनना।
- अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
- दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
- अंधे की लाठी
- बेसहारे का सहारा।
- अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
- मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
- अंधे के हाथ बटेर लगना
- अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
- अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है
- किसी के सामने उसका दोष बताने से उसे बुरा ही लगता है।
- अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी
- मूर्ख को बुद्धिमत्ता की बात सूझना।
- अंधेर नगरी चैपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
- जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल रखता हो।
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
- अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
- अकेला हँसता भला रोता भला
- सुख हो या दुःख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
- अक्ल बड़ी या भैंस
- शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि का अधिक महत्व होता है।
- अच्छी मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ
- बड़े-बूढ़ों के अनुभव का लाभ उठाना चाहिये।
- अटकेगा सो भटकेगा
- दुविधा या सोच-विचार में पड़ने से काम नहीं होता।
- अधजल गगरी छलकत जाए
- ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है।
- अनजान सुजान, सदा कल्याण
- मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं।
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
- नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।
- अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज
- अनहोनी बात।
- बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले भीख
- सौभाग्य से कोई बढ़िया चीज अपने-आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलती।
- अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना
- किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना।
- अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्ली निहारे
- अपने बड़ेे से बड़ेे दुर्गुण को देखना पर दूसरे के छोटे से छोटे अवगुण की चर्चा करना।
- अपना मकान कोट समान
- अपना घर सबसे सुरक्षित स्थान होता है।
- अपना रख पराया चख
- अपनी वस्तु बचाकर रखना और दूसरों की वस्तुएँ इस्तेमाल करना।
- अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख
- अपनी बहुमूल्य वस्तु को गवाँ देने से आदमी दूसरों का मोहताज हो जाता है।
- अपना ही सोना खोटा तो सुनार का क्या दोष
- अपनी ही वस्तु खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
- अपनी- अपनी खाल में सब मस्त
- अपनी परिस्थिति से संतुष्ट रहना।
- अपनी-अपनी ढफली, अपना-अपना राग
- सभी का अलग-अलग मत होना।
- अपनी करनी पार उतरनी
- अच्छा परिणाम पाने के लिए स्वयं काम करना पड़ता है।
- अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं
- येन-केन-प्रकारेण स्वार्थपूर्ति करना।
- अपनी गरज बावली
- स्वार्थी आदमी दूसरों की परवाह नहीं करता।
- अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
- अपने घर में आदमी शक्तिशाली होता है।
- अपनी गँठ पैसा तो पराया आसरा कैसा
- समर्थ व्यक्ति को दूसरे के आसरे की आवश्यकता नहीं होती।
- अपनी चिलम भरने के लिए दूसरे का झोपड़ा जलाना
- अपने छोटे से स्वार्थ के लिए दूसरे की भारी हानि कर देना।
- अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता
- अपनी चीज को कोई खराब नहीं बताता।
- अपनी जाँघ उघारिए आपहि मरिए लाज
- अपने अवगुणों को दूसरों के समक्ष प्रस्तुत करके आप ही पछताना।
- अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना
- मर्जी का मालिक होना।
- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े
- दूसरों का नुकसान करने के लिए अपने नुकसान की भी परवाह करना।
- अपनी पगड़ी अपने हाथ
- व्यक्ति अपनी इज्जत की रक्षा स्वयं ही कर सकता है।
- अपने किए का क्या इलाज
- अपने द्वारा किए गए कर्म का फल भोगना ही पड़ता है।
- अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता
- दूसरों के भरोसे काम नहीं होता, सफलता पाने के लिए स्वयं परिश्रम करना पड़ता है।
- अपने पूत को कोई काना नहीं कहता
- अपनी चीज को कोई बुरा नहीं कहता।
- अपने मुँह मिया मिट्ठू बनना
- अपनी बड़ाई आप करना।
- अब की अब, तब की तब
- भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान की ही चिंता करनी चाहिए।
- अब सतवंती होकर बैठी लूट लिया सारा संसार
- उम्र भर बुरे कर्म करने के बाद अच्छा होने का दिखावा करना।
- अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे
- अभी तुम नादान हो।
- अभी दिल्ली दूर है
- सफलता अभी दूर है।
- अरहर की टट्टी गुजराती ताला
- मामूली वस्तु की रक्षा के लिए खर्च की परवाह करना।
- अजब तेरी माया, कहीं धूप कहीं छाया
- जीवन में सुख और दुःख आते ही रहते हैं।
- अशर्फियाँ लुटाकर कोयलों पर मोहर लगाना
- अच्छे-बुरे का ज्ञान होना।
- आँख एक नहीं कजरौटा दस-दस
- व्यर्थ का आडम्बर करना।
- आँख ओट पहाड़ ओट
- अनुपलब्ध व्यक्ति से किसी प्रकार का सहारा करना व्यर्थ है।
- आँख और कान में चार अंगुल का फर्क
- सुनी हुई बात की अपेक्षा देखा हुआ सत्य अधिक विश्वसनीय होता है।
- आँख का अंधा नाम नैनसुख
- व्यक्ति के नाम की अपेक्षा गुण प्रभावशाली होता है।
- बैल मुझे मार
- जान बूझकर मुसीबत मोल लेना।
- आई तो ईद, आई तो जुम्मेरात
- आमदनी हुई तो मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
- आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक
- विरक्त व्यक्ति को किसी चीज की परवाह नहीं होती।
- आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथ
- लाईलाज बीमारी।
- आग कह देने से मुँह नहीं जल जाता
- कोसने से किसी का अहित नहीं हो जाता।
- आग का जला आग ही से अच्छा होता है
- कष्ट देने वाली वस्तु कष्ट का निवारण भी कर देती है।
- आग खाएगा तो अंगार उगलेगा
- बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है।
- आग बिना धुआँ नहीं
- बिना कारण कुछ भी नहीं होता।
- आगे जाए घुटना टूटे, पीछे देखे आँख फूटे
- दुर्दिन झेलना।
- आगे नाथ पीछे पगहा
- पूर्णतः स्वतन्त्र रहना।
- आज का बनिया कल का सेठ
- परिश्रम करते रहने से आदमी आगे बढ़ता जाता है।
- आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए, बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए
- ऐसी वस्तु जिसे बचाना मुश्किल हो।
- आदमी-आदमी में अंतर कोई हीरा कोई कंकर
- व्यक्तियों के स्वभाव तथा गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
- आदमी की दवा आदमी है
- मनुष्य ही मनुष्य की सहायता करते हैं।
- आदमी को ढाई गज कफन काफी है
- अपनी हालत पर संतुष्ट रहना।
- आदमी जाने बसे सोना जाने कसे
- आदमी की पहचान नजदीकी से और सोने की पहचान सोना कसौटी से होती है।
- आम के आम गुठलियों के दाम
- दोहरा लाभ होना।
- आधा तीतर आधा बटेर
- बेमेल वस्तु।
- आधी छोड़ पूरी को धावै, आधी मिले पूरी पावै
- लालच करने से हानि होती है।
- आप काज महा काज
- अपने उद्देश्य की पूर्ति करना चाहिए।
- आप भला तो जग भला
- भले आदमी को सब लोग भले ही प्रतीत होते हैं।
- आप मरे जग परलय
- मृत्यु के पश्चात कोई नहीं जानता कि संसार में क्या हो रहा है।
- आप मियाँ जी मँगते द्वार खड़े दरवेश
- असमर्थ व्यक्ति दूसरों की सहायता नहीं कर सकता।
- आपा तजे तो हरि को भजे
- परमार्थ करने के लिए स्वार्थ को त्यागना पड़ता है।
- आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या मतलब
- निरुद्देश्य कार्य करना।
- आए की खुशी गए का गम
- अपनी हालात में संतुष्ट रहना।
- आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास
- लक्ष्य को भूलकर अन्य कार्य करना।
- आसमान का थूका मुँह पर आता है
- बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
- आसमान से गिरा खजूर पर अटका
- सफलता पाने में अनेक बाधाओं का आना।
- इक नागिन अरु पंख लगाई
- एक के साथ दूसरे दोष का होना।
- इतना खाए जितना पावे
- अपनी औकात को ध्यान में रखकर खर्च करना।
- इतनी सी जान, गज भर की जबान
- अपनी उम्र के हिसाब से अधिक बोलना।
- इधर कुआँ उधर खाई
- हर हाल में मुसीबत।
- इधर उधर, यह बला किधर
- अचानक विपत्ति पड़ना।
- इन तिलों में तेल नहीं
- किसी प्रकार का आसरा होना।
- इसके पेट में दाढ़ी है
- कम उम्र में बुद्धि का अधिक विकास होना।
- इस हाथ दे उस हाथ ले
- किसी कार्य का फल तत्काल चाहना।
- उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
- दोषी होने पर भी दूसरों पर धौंस जमाना।
- उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी
- दुविधा में पड़ना।
- उत्तर जाए या दक्खिन, वही करम के लक्खन
- स्थान बदल जाने पर भी व्यक्ति के लक्षण नहीं बदलते।
- उल्टी गंगा पहाड़ चली
- असंभव कार्य।
- उल्टे बाँस बरेली को
- विपरीत कार्य करना।
- ऊँची दुकान फीका पकवान
- तड़क-भड़क करके स्तरहीन चीजों को खपाना।
- ऊँट किस करवट बैठता है
- सन्देह की स्थिति में होना।
- ऊँट के मुँह में जीरा
- अत्यन्त अपर्याप्त।
- ऊधो का लेना माधो का देना
- किसी के तीन-पाँच में रहना, स्वयं में लिप्त होना।
- एक अंडा वह भी गंदा
- बेकार की वस्तु।
- एक अनार सौ बीमार
- किसी वस्तु की मात्रा बहुत कम किन्तु उसकी माँग बहुत अधिक होना।
- एक आवे के बर्तन
- सभी का एक जैसा होना।
- एक और एक ग्यारह होते हैं
- एकता में बल है।
- एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा
- बहुत अधिक खराब होना।
- एक गंदी मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है
- अनेक अच्छाईयोँ पर भी एक बुराई भारी पड़ती है।
- एक टकसाल के ढले
- सभी का एक जैसा होना।
- एक तवे की रोटी, क्या छोटी क्या मोटी
- किसी प्रकार का भेदभाव रखना।
- एक तो चोरी ऊपर से सीना-जोरी
- स्वयं के दोषी होने पर भी रोब गाँठना।
- एक ही थैली के चट्टे-बट्टे
- एक जैसे दुर्गुण वाले।
- एक मुँह दो बात
- अपनी बात से पलटना।
- एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती
- समान अधिकार वाले दो व्यक्ति एक क्षेत्र में नहीं रह सकते।
- एक हाथ से ताली नहीं बजती
- झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार होते हैं।
- एक ही लकड़ी से सबको हाँकना
- छोटे-बड़े का ध्यान रखना।
- एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय
- एक साथ अनेक कार्य करने से कोई भी कार्य पूरा नहीं होता।
- ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना
- कठिनाइयों डरना।
- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती
- आवश्यक से अत्यन्त कम की प्राप्ति होना।
- कंगाली में आटा गीला
- मुसीबत पर मुसीबत आना।
- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती
- अपराध के अनुसार ही दण्ड दिया जाना चाहिए।
- कचहरी का दरवाजा खुला है
- न्याय पर सभी का अधिकार होता है।
- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा
- छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
- कब्र में पाँव लटकना
- अत्यधिक उम्र वाला।
- कभी के दिन बड़े कभी की रात
- सब दिन एक समान नहीं होते।
- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर
- परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं।
- कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता
- ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती
- सोच-समझकर ही बात करनी चाहिए।
- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
- अभ्यास करते रहने से सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है।
- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया
- काम बिगड़ना।
- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े
- दुर्भाग्य हो तो कोई कोई काम खराब होता रहता है।
- कर लिया सो काम, भज लिया सो राम
- अधूरे काम का कुछ भी मतलब नहीं होता।
- कर सेवा तो खा मेवा
- अच्छे कार्य का परिणाम अच्छा ही होता है।
- करे कोई भरे कोई
- किसी की करनी का फल किसी अन्य द्वारा भोगना।
- करे दाढ़ी वाला, पकड़ा जाए जाए मुँछों वाला
- प्रभावशाली व्यक्ति के अपराध के लिए किसी छोटे आदमी को दोषी ठहराया जाना।
- कल किसने देखा है
- आज का काम आज ही करना चाहिए।
- कलार की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है
- बुरी संगत होने पर कलंक लगता ही है।
- कहाँ राम-राम, कहाँ टाँय-टाँय
- असमान चीजों की तुलना नहीं हो सकती।
- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा
- असम्बन्धित वस्तुओं का एक स्थान पर संग्रह।
- कहे खेत की, सुने खलिहान की
- कुछ कहने पर कुछ समझना।
- का वर्षा जब कृषी सुखाने
- अवसर निकलने जाने पर सहायता भी व्यर्थ होती है।
- कागज की नाव नहीं चलती
- बेईमानी या धोखेबाजी ज्यादा दिन नहीं चल सकती।
- काजल की कौठरी में कैसेहु सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै
- बुरी संगत होने पर कलंक अवश्य ही लगता है।
- काजी जी दुबले क्यों? शहर के अंदेशे से
- दूसरों की चिन्ता में घुलना।
- काठ की हाँडी एक बार ही चढ़ती है
- धोखा केवल एक बार ही दिया जा सकता है, बार बार नहीं।
- कान में तेल डाल कर बैठना
- आवश्यक चिन्ताओं से भी दूर रहना।
- काबुल में क्या गधे नहीं होते
- अच्छाई के साथ-साथ बुराई भी रहती है।
- काम का काज का, दुश्मन अनाज का
- खाना खाने के अलावा और कोई भी काम करने वाला व्यक्ति।
- काम को काम सिखाता है
- अभ्यास करते रहने से आदमी होशियार हो जाता है।
- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे जवान
- मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
- काल छोड़े राजा, छोड़े रंक
- मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, वह सभी को ग्रसती है।
- काला अक्षर भैंस बराबर
- अनपढ़ होना।
- काली के ब्याह में सौ जोखिम
- एक दोष होने पर लोगों द्वारा अनेक दोष निकाल दिए जाते हैं।
- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान
- नौकरी करके स्वाभिमान की रक्षा नहीं हो सकती।
- किस खेत की मूली है
- महत्व देना।
- किसी का घर जले कोई तापे
- किसी की हानि पर किसी अन्य का लाभान्वित होना।
- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता
- अपनी चीज को कोई खराब नहीं कहता।
- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है
- कुछ भी बचत होना।
- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन देय
- भरोसेमन्द व्यक्ति का बेईमान हो जाना।
- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है
- कुत्ता भी बैठने के पहले बैठने के स्थान को साफ करता है।
- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी
- लाख कोशिश करने पर भी दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं त्यागता।
- कुत्ते को घी नहीं पचता
- नीच आदमी ऊँचा पद पाकर इतराने लगता है।
- कुत्ता भूँके हजार, हाथी चले बजार
- समर्थ व्यक्ति को किसी का डर नहीं होता।
- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है
- अपनी ही वस्तु की प्रशंसा करना।
- कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय
- सम्मानित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है।
- कोई माल मस्त, कोई हाल मस्त
- कोई अमीरी से संतुष्ट तो कोई गरीबी से।
- कोठी वाला रोवें, छप्पर वाला सोवे
- धनवान की अपेक्षा गरीब अधिक निश्चिंत रहता है।
- कोयल होय उजली सौ मन साबुन लाइ
- स्वभाव नहीं बदलता।
- कोयले की दलाली में मुँह काला
- बुरी संगत से कलंक लगता ही है।
- कौड़ी नहीं गाँठ चले बाग की सैर
- अपनी सामर्थ्य से अधिक की सोचना।
- कौन कहे राजाजी नंगे हैं
- बड़े लोगों की बुराई नहीं देखी जाती।
- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल
- दूसरों की नकल करने से अपनी मौलिकता भी खो जाती है।
- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा
- अत्यन्त तुच्छ होना।
- खग जाने खग ही की भाषा
- एक जैसे प्रकृति के लोग आपस में मिल ही जाते हैं।
- ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरता
- केवल सोचते रहने से काम पूरा नहीं हो जाता।
- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है
- देखादेखी काम करना।
- खाक डाले चाँद नहीं छिपता
- किसी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय
- ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता।
- खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे
- बेकाम आदमी उल्टे-सीधे काम करता रहता है।
- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे
- अपनी असफलता पर खीझना।
- खुदा की लाठी में आवाज नहीं होती
- कोई नहीं जानता की अपने कर्मों का कब और कैसा फल मिलेगा।
- खुदा गंजे को नाखून नहीं देता
- ईश्वर सभी की भलाई का ध्यान रखता है।
- खुदा देता है तो छप्पर फाड कर देता है
- भाग्यशाली होना।
- खुशामद से ही आमद है
- खुशामद से कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
- खूँटे के बल बछड़ा कूदे
- दूसरे की शह पाकर ही अकड़ दिखाना।
- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा
- किसी के दोष की सजा किसी अन्य को मिलना।
- खेती अपन सेती
- दूसरों के भरोसे खेती नहीं की जा सकती।
- खेल-खिलाड़ी का, पैसा मदारी का
- मेहनत किसी की लाभ किसी और का।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया
- परिश्रम का कुछ भी फल मिलना।
- गंगा गए तो गंगादास, यमुना गए यमुनादास
- एक मत पर स्थिर रहना।
- गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके
- स्वार्थी आदमी स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
- गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता
- स्वभाव नहीं बदलता।
- गधा भी कहीं घोड़ा बन सकता है
- बुरा आदमी कभी भला नहीं बन सकता।
- गई माँगने पूत, खो आई भरतार
- थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान कर लेना।
- गर्व का सिर नीचा
- घमंडी आदमी का घमंड चूर हो ही जाता है।
- गरीब की लुगाई सब की भौजाई
- गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।
- गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान
- गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है।
- गरीबों ने रोजे रखे तो दिन ही बड$ हो गए
- गरीब की किस्मत ही बुरी होती है।
- गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त
- जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं।
- गाँठ का पूरा, आँख का अंधा
- मालदार असामी।
- गीदड़ की मौत आती है तो वह गाँव की ओर भागता है
- विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती।
- गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज
- झूठ और ढोंग रचना।
- गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दें
- काम प्रेम से निकल सके तो सख्ती करें।
- गुड़ दें, पर गुड़ सी बात तो करें
- कुछ दें पर मीठे बोल तो बोलें।
- गुरु-गुड ही रहे, चेले शक्कर हो गए
- छोटों का बड़ों से आगे बढ़ जाना।
- गूदड़ में लाल नहीं छिपता
- गुण स्वयं ही झलकता है।
- गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है
- दोषी के साथ निर्दोष भी मारा जाता है।
- गोद में बैठकर आँख में उँगली करना/गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचना
- भलाई के बदले बुराई करना।
- गोद में छोरा, शहर में ढिंढोरा
- पास की वस्तु नजर आना।
- घड़ी भर में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा
- समय पहचान कर ही कार्य करना चाहिए।
- घड़ी में तोला, घड़ी में माशा
- चंचल विचारों वाला।
- घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते
- घर में आने वाले को मान देना चाहिए।
- घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध
- अपने ही घर में अपनी कीमत नहीं होती।
- घर का भेदी लंका ढाए
- आपसी फूट का परिणाम बुरा होता है।
- घर की मुर्गी दाल बराबर
- अपनी चीज या अपने आदमी की कदर नहीं।
- घर खीर तो बाहर खीर
- समृद्धि सम्मान प्रदान करती है।
- घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने
- कुछ होने पर भी होने का दिखावा करना।
- घायल की गति घायल जाने
- कष्ट भोगने वाला ही वही दूसरों के कष्ट को समझ सकता है।
- घी गिरा खिचड़ी में
- लापरवाही के बावजूद भी वस्तु का सदुपयोग होना।
- घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम
- साधन पर्याप्त हों तो काम करने वाले को यश भी मिलता है।
- घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?
- व्यापार में रियायत नहीं की जाती।
- घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियाँ उड़ाएगा
- उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है।
- घोड़े को लात, आदमी को बात
- सामने वाले का स्वभाव पहचान कर उचित व्यहार करना।
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10 प्रेरणादायक सुविचार,1,31वें संविधान संशोधन से लेकर 60वें संविधान संशोधन तक,1,61वें संविधान संशोधन से लेकर 90वें संविधान संशोधन तक,1,91वें संविधान संशोधन से लेकर 93वें संविधान संशोधन तक,1,अनुच्छेद एवं सम्बन्धित विवरण,1,अब तक IPL के इतिहास में हुआ सुपर ओवर,1,आब्जेक्टिव कम्प्यूटर ज्ञान,2,उत्तर प्रदेश कैबिनेट की सूची,1,उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन,1,उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष,1,उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान (भाग-एक),1,ऑस्ट्रेलियन ओपन,1,कम्प्यूटर ज्ञान,1,कम्प्यूटर सम्बन्धी महत्वपूर्ण शब्दावली,1,कम्प्यूटर सामान्य ज्ञान,3,केन्द्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल,1,केन्द्रीय कैबिनेट की नवीनतम सूची,1,कोरोना वायरस क्या है? कोरोना वायरस के लक्षण,1,क्रिया,1,गज (हाथी) अभयारण्य,1,नारे,1,पहले संविधान संशोधन से लेकर 30वें संविधान संशोधन तक,1,प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु कम्प्यूटर नोट्स,1,प्रमुख मुहावरे व उनके अर्थ,1,प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान एव अभयारण्य,2,प्रमुख राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दिवसों की सूची,1,प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ,3,प्रशासक एवं मुख्यमंत्रियों की सूची,1,प्राचीन भारत का इतिहासः एक परिचय,1,फ्रेंच ओपन,1,बाघ अभयारण्य,1,ब्रिटिश राज मे जनजातीय विद्रोह,1,भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन,1,भारत का संवैधानिक विकास,1,भारत के राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्रियों की सूची,1,भारतीय अर्थव्यवस्था,1,भारतीय आँकड़े एक झलक,1,भारतीय परिवहन,1,भारतीय भूगोल,1,भारतीय राजव्यवस्था,1,भारतीय संविधान के संशोधन,4,मुहावरे,1,मुहावरे एवं लोकोक्ति में अन्तर,1,यू.एस. ओपन टेनिस – 2019,1,राष्ट्रीय आन्दोलन की महत्वपूर्ण तिथियाँ,1,राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन अवधि में बनी महत्वपूर्ण संस्थाएँ,1,राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन सम्बन्धी प्रमुख वचन,1,लोकोक्तियाँ (कहावतें),2,विंबलडन ओपन टेनिस,1,विधानपरिषद,1,विधानसभा एवं विधानपरिषद,2,विधानसभाओं में सदस्य संख्या,1,वृत्ति एवं काल,1,संविधान के भाग,1,संसदीय शब्दावली,1,समास,1,सुपर ओवर के नियम,1,सुविचार,1,स्वाधीनता संग्राम से सम्बन्धित पत्र/पत्रिकाएँ एवं पुस्तकें,1,हिन्दी के महत्वपूर्ण साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ,1,हिन्दी व्याकरण,7,IPL टीमों के शब्द संक्षेप,1,
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Pariksha Sankalp: लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-1)
लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-1)
लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-1), प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ
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