लोकोक्तियाँ (कहावतें) (भाग-2), प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ
प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ
- चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे
- कुछ पाने के लिए कुछ लगाना ही पड़ता है।
- चट मँगनी पट ब्याह
- त्वरित गति से कार्य होना।
- चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे
- बिना सोचे विचारे खतरा मोल लेना।
- चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए
- दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए।
- चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको
- गरीब आदमी क्या आवभगत करेगा।
- चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
- महा कंजूस।
- चमार चमड़े का यार
- स्वार्थी व्यक्ति।
- चरसी यार किसके दम लगाया खिसके
- स्वार्थी व्यक्ति स्वार्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
- चलती का नाम गाड़ी
- कार्य चलते रहना चाहिए।
- चाँद को भी ग्रहण लगता है
- भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है।
- चाकरी में न करी क्या?
- नौकरी में मालिक की आज्ञा अवहेलना नहीं की जा सकती।
- चार दिन की चाँदनी फिर अँधियारी रात
- सुख थोड़े ही दिन का होता है।
- चिकना मुँह पेट खाली
- देखने में अच्छा-भला भीतर से दुःखी।
- चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता
- निर्लज्ज आदमी पर किसी बात का असर नहीं पड़ता।
- चिकने मुँह को सब चूमते हैं
- समृद्ध व्यक्ति के सभी यार होते हैं।
- चिड़िया की जान गई, खाने वाले को मजा न आया
- भारी काम करने पर भी सराहना न मिलना।
- चित भी मेरी पट भी मेरी अंटी मेरे बाबा का
- हर हालत में अपना ही लाभ देखना।
- चिराग तले अँधेरा
- पास की चीज दिखाई न पड़ना।
- चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी
- शाम होते ही सोने लगना।
- चींटी की मौत आती है तो उसके पर निकलने लगते हैं
- घमंड करने से नाश होता है।
- चील के घोंसले में मांस कहाँ
- दरिद्र व्यक्ति क्या बचत कर सकता है?
- चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है
- पसंद आ जाए तो बुरी वस्तु भी अच्छी ही लगती है।
- चुल्लू भर पानी में डूब मरना
- शर्म से डूब जाना।
- चुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बाँधेगा
- थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर बना जा सकता है।
- चूल्हे की न चक्की की
- किसी काम न होना।
- चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है
- स्वभाव नहीं बदलता।
- चूहे के चाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं
- अपर्याप्त।
- चूहों की मौत बिल्ली का खेल
- दूसरे को कष्ट देकर मजा लेना।
- चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली
- चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना।
- चोर के पैर नहीं होते
- दोषी व्यक्ति स्वयं फँसता है।
- चोर-चोर मौसेरे भाई
- एक जैसे बदमाशों का मेल हो ही जाता है।
- चोर-चोरी से जाए, हेरा-फेरी से न जाए
- दुष्ट आदमी से पूरी तरह से दुष्टता नहीं छूटती।
- चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले
- शक्तिशाली आदमी से दो व्यक्ति भी हार जाते हैं।
- चोर को कहे चोरी कर और साह से कहे जागते रहो
- दो पक्षों को लड़ाने वाला।
- चोरी और सीना जोरी
- गलत काम करके भी अकड़ दिखाना।
- चोरी का धन मोरी में
- हराम की कमाई बेकार जाती है।
- चैबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए
- अधिक लालच करके अपना सब कुछ गवाँ देना।
- छछूँदर के सिर में चमेली का तेल
- अयोग्य के पास अच्छी चीज होना।
- छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद
- अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करना।
- छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें हजार छेद
- ज्ञानी के समक्ष अज्ञानी का बोलना।
- छीके कोई, नाक कटावे कोई
- किसी के दोष का फल किसी दूसरे के द्वारा भोगना।
- छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर
- हर तरफ से हानि ही हानि होना।
- छोटा मुँह बड़ी बात
- अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना।
- छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ, बड़े मियाँ सुभान अल्लाह
- छोटे के अवगुणों से बड़े के अवगुण अधिक होना।
- जंगल में मोर नाचा किसने देखा
- कद्र न करने वालों के समक्ष योग्यता प्रदर्शन।
- जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं
- भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र।
- जने-जने की लकड़ी, एक जने का बोझ
- अकेला व्यक्ति काम पूरा नहीं कर सकता किन्तु सब मिल काम करें तो काम पूरा हो जाता है।
- जब चने थे दाँत न थे, जब दाँत भये तब चने नहीं
- कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु नहीं।
- जब तक जीना तब तक सीना
- आदमी को मृत्युपर्यन्त काम करना ही पड़ता है।
- जब तक साँस तब तक आस
- अंत समय तक आशा बनी रहती है।
- जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर
- जबरदस्त आदमी दबाव डाल कर काम लेता है।
- जबरा मारे रोने न दे
- जबरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहन करना पड$ता है।
- जबान को लगाम चाहिए
- सोच-समझकर बोलना चाहिए।
- जबान ही हाथी चढ़ाए, जबान ही सिर कटाए
- मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।
- जर का जोर पूरा है, और सब अधूरा है
- धन में सबसे अधिक शक्ति है।
- जर है तो नर नहीं तो खंडहर
- पैसे से ही आदमी का सम्मान है।
- जल में रहकर मगर से बैर
- जहाँ रहना हो वहाँ के शक्तिशाली व्यक्ति से बैर ठीक नहीं होता।
- जस दूल्हा तस बाराती
- स्वभाव के अनुसार ही मित्रता होती है।
- जहँ जहँ पैर पड़े संतन के, तहँ तहँ बंटाधार
- अभागा व्यक्ति जहाँ भी जाता है बुरा होता है।
- जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी
- धन प्राप्त होने पर खुशामदी अपने आप मिल जाते हैं।
- जहाँ चार बर्तन होंगे, वहाँ खटकेंगे भी
- सभी का मत एक जैसा नहीं हो सकता।
- जहाँ चाह है वहाँ राह है
- काम के प्रति लगन हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।
- जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुजारे सारी रात
- जहाँ कुछ प्राप्ति की आशा दिखे वहीं जम जाना।
- जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि
- कवि की कल्पना की पहुँच सर्वत्र होती है।
- जहाँ फूल वहाँ काँटा
- अच्छाई के साथ बुराई भी होती ही है।
- जहाँ मुर्गा नहीं होता, क्या वहाँ सवेरा नहीं होता
- किसी के बिना किसी का काम रुकता नहीं है।
- जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई
- दुःख को भुक्तभोगी ही जानता है।
- जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोएगा
- हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
- जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले
- अत्यन्त प्रभावशाली होना।
- जान मारे बनिया पहचान मारे चोर
- बनिया और चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं।
- जाए लाख, रहे साख
- धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए।
- जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा
- जितना अधिक लगाओगे उतना ही अच्छा पाओगे।
- जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारो
- आमदनी के हिसाब से खर्च करो।
- जितने मुँह उतनी बातें
- अस्पष्ट होना।
- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ
- परिश्रम करने वाले को ही लाभ होता है।
- जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना
- जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।
- जिसका काम उसी को साजै
- जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है।
- जिसका खाइए उसका गाइए
- जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।
- जिसका जूता उसी का सिर
- दुश्मन को दुश्मन के ही हथियार से मारना।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस
- शक्तिशाली ही समर्थ होता है।
- जिसके हाथ डोई, उसका सब कोई
- धनी आदमी के सभी मित्र होते हैं।
- जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन
- समर्थ व्यक्ति जिसका चाहे कल्याण कर सकता है।
- जर जाए, घी न जाए
- महाकृपण।
- जीती मक्खी नहीं निगली जाती
- जानते बूझते गलत काम नहीं किया जा सकता।
- जीभ भी जली और स्वाद भी न आया
- कष्ट सहकर भी उद्देश्य पूर्ति न होना।
- जूठा खाए मीठे के लालच
- लाभ के लालच में नीच काम करना।
- जैसा करोगे वैसा भरोगे
- जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
- जैसा बोवोगे वैसा काटोगे
- जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
- जैसा मुँह वैसा थप्पड़
- जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।
- जैसा राजा वैसी प्रजा
- राजा नेक तो प्रजा भी नेक, राजा बद तो प्रजा भी बद।
- जैसी करनी वैसी भरनी
- जैसा काम करोगे वैसा ही फल मिलेगा।
- जैसे तेरी बाँसुरी, वैसे मेरे गीत
- गुण के अनुसार ही प्राप्ति होती है।
- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश
- निकम्मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ
- दुष्ट लोग एक जैसे ही होते हैं।।
- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं
- डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं।
- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से
- बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
- जो गुड़ खाए सो कान छिदाए
- लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।
- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल
- बुराई का बदला भी भलाई से दो।
- जो बोले सों घी को जाए
- बड़बोलेपन से हानी ही होती है।
- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा
- जो मन में है वह प्रकट होगा ही।
- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय
- (1) पद के अनुसार जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती जाती हैं।
- (2) उधारी को छूटते ही रहना चाहिए अन्यथा ब्याज बढ़ते ही जाता है।
- झूठ के पाँव नहीं होते
- झूठा आदमी अपनी बात पर खरा नहीं उतरता।
- झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाब देखें
- अपनी सामर्थ्य से बढ़कर चाहना।
- टके का सब खेल है
- धन सब कुछ करता है।
- ठंडा करके खाओ
- धीरज से काम करो।
- ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है
- शान्त व्याक्ति क्रोधी को झुका देता है।
- ठोक बजा ले चीज, ठोक बजा दे दाम
- अच्छी वस्तु का अच्छा दाम।
- ठोकर लगे तब आँख खुले
- अक्ल अनुभव से आती है।
- डण्डा सब का पीर
- सख्ती करने से लोग काबू में आते हैं।
- डायन को दामाद प्यारा
- खराब लोगों को भी अपने प्यारे होते हैं।
- डूबते को तिनके का सहारा
- विपत्ति में थोड़ी सी सहायता भी काफी होती है।
- ढाक के तीन पात
- अपनी बात पर अड़ेे रहना।
- ढोल के भीतर पोल
- झूठा दिखावा करने वाला।
- तख्त या तख्ता
- या तो उद्देश्य की प्राप्ति हो या स्वयं मिट जाएँ।
- तबेले की बला बंदर के सिर
- अपना अपराध दूसरे के सिर मढ़ना।
- तन को कपड़ा न पेट को रोटी
- अत्यन्त दरिद्र।
- तलवार का खेत हरा नहीं होता
- अत्याचार का फल अच्छा नहीं होता।
- ताली दोनों हाथों से बजती है
- केवल एक पक्ष होने से लड़ाई नहीं हो सकती।
- तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा
- स्त्री के बिना पुरुष अधूरा होता है।
- तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी
- समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है।
- तीन में न तेरह में
- निष्पक्ष होना।
- तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे
- सबको अपने-अपने कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है।
- तुम्हारे मुँह में घी शक्कर
- शुभ सन्देश।
- तुरत दान महाकल्याण
- काम को तत्काल निबटाना।
- तू डाल-डाल मैं पात-पात
- चालाक के साथ चालाकी चलना।
- तेल तिलों से ही निकलता है
- सामर्थ्यवान व्यक्ति से ही प्राप्ति होती है।
- तेल देखो तेल की धार देखो
- धैर्य से काम लेना।
- तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कड$ाही
- दिखावा करना।
- तेली का तेल जले, मशालची की छाती फटे
- दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
- तेली के बैल को घर ही पचास कोस
- घर में रहने पर भी अक्ल का अंधा कष्ट ही भोगता है।
- तेली खसम किया, फिर भी रूखा खाया
- सामर्थ्यवान की शरण में रहकर भी दुःख उठाना।
- थका ऊँट सराय ताकता
- परिश्रम के पश्चात् विश्राम आवश्यक होता है।
- थूक से सत्तू नहीं सनते
- कम सामग्री से काम पूरा नहीं हो पाता।
- थोथा चना बाजे घना
- मूर्ख अपनी बातों से अपनी मूर्खता को प्रकट कर ही देता है।
- दमड़ी की बुढिया ढाई टका सिर मुँड़ाई
- मामूली वस्तु के रख रखाव के लिए अधिक खर्च करना।
- दबाने पर चींटी भी चोट करती है
- दुःख पहुँचाने पर निर्बल भी वार करता है।
- दमड़ी की हाँड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई
- असलियत जानने के लिए थोड़ी सी हानि सह लेना।
- दर्जी की सुई, कभी धागे में कभी टाट में
- परिस्थिति के अनुसार कार्य।
- दलाल का दिवाला क्या, मस्जिद में ताला क्या
- निर्धन को लुटने का डर नहीं होता।
- दाग लगाए लँगोटिया यार
- अपनों से धोखा खाना।
- दाता दे भंडारी का पेट फटे
- दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
- दादा कहने से बनिया गुड़ देता है
- मीठे बोल बोलने से काम बन जाता है।
- दान के बछिया के दाँत नहीं देखे जाते
- मुफ्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं परखे जाते।
- दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम
- हक की वस्तु अवश्य ही मिलती है।
- दाम सँवारे सारे काम
- पैसा सब काम करता है।
- दाल में काला होना
- गड़बड़ होना।
- दाल-भात में मसूरचंद
- जबरदस्ती दखल देने वाला।
- दाल में नमक, सच में झूठ
- थोड़ा-सा झूठ बोलना गलत नहीं होता।
- दिनन के फेर से सुमेरु होत माटी को
- बुरे समय में सोना भी मिट्टी हो जाता है।
- दिल्ली अभी दूर है
- सफलता दूर है।
- दीवार के भी कान होते हैं
- सतर्क रहना चाहिए।
- दुधाः गाय की लात सहनी पड़ती है
- जिससे लाभ होता है, उसकी धौंस भी सहनी पड़ती है।
- दुनिया का मुँह किसने रोका है
- बोलने वालों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
- दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम
- दुविधा में पड़ने से कुछ भी नहीं मिलता।
- दूल्हा को पत्तल नहीं, बजनिये को थाल
- बेतरतीब काम करना।
- दूध का दूध पानी का पानी
- उचित न्याय होना।
- दूध पिलाकर साँप पोसना
- शत्रु का उपकार करना।
- दूर के ढोल सुहावने
- देख परख कर ही सही गलत का ज्ञान करना।
- दूसरे की पत्तल लंबा-लंबा भात
- दूसरे की वस्तु अच्छी लगती है।
- देसी कुतिया विलायती बोली
- दिखावा करना।
- देह धरे के दण्ड हैं
- शरीर है तो कष्ट भी होगा।
- दोनों हाथों में लड्डू
- सभी प्रकार से लाभ ही लाभ।
- दो लड़े तीसरा ले उड़े
- दो की लड़ाई में तीसरे का लाभ होना।
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