Comments system

[blogger][disqus][facebook]

Video Of Day

भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन

भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई0), बंगाल-विभाजन (1905 ई0), स्वदेशी व स्वराज (1905 ई0 तथा 1906 ई0), मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ई0), कांग्रेस का विभाजन (1907 ई0), दिल्ली दरबार (1911 ई0), लखनऊ समझौता (1916 ई0), होमरूल लीग आन्दोलन (1916 ई0). अगस्त घोषणा (1917 ई0), रौलेट एक्ट (1919 ई0), जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (13 अप्रैल, 1919 ई0), खिलाफत आन्दोलन (1920 ई0), असहयोग आन्दोलन (1920 ई0), स्वराज पार्टी (1923 ई0), साइमन कमीशन (1927 ई0), नेहरू रिपोर्ट (1928 ई0), जिन्ना फार्मूला (1928 ई0), बारदोली सत्याग्रह (1928 ई0), कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 ई0), दाण्डी यात्रा (1930 ई0), प्रथम गोलमेज सम्मेलन, गाँधी-इर्विन समझौता (1931 ई0), द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931 ई0), साम्प्रदायिक पंचाट (1932 ई0), पूना समझौता (25 सितम्बर, 1932), तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932 ई0), क्रान्तिकारी गतिविधियाँ, 1937 ई0 के चुनाव, व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940), अगस्त प्रस्ताव (1940 ई0),पाकिस्तान की माँग (1940 ई0), क्रिप्स प्रस्ताव (1942 ई0), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942 ई0), सी.आर. फार्मूला (1944 ई0), वेवेल योजना (1945 ई0), शिमला सम्मेलन (1945 ई0), कैबिनेट मिशन (1946 ई0), एटली की घोषणा (1947 ई0), माउण्टबेटन योजना और स्वतन्त्रता प्राप्ति (1947 ई0), राष्ट्रीय एकता, सर्वोदय एवं भू-दान, महात्मा गाँधी के मूल उपदेश

भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 0)

  • कांग्रेस की स्थापना 1885 0 में ए00ह्यूम द्वारा की गई थी जो कि एक अंग्रेज सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी था।
  • इसका प्रथम अधिवेशन दिसम्बर 1885 0 में मुम्बई में हुआ जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने की।
  • 1885 0 में कांग्रेस की स्थापना के बाद अगले बीस वर्षों तक इस पर ऐसे गुट का प्रभाव था जिसे उदारवादी गुट (Moderates) कहा जाता था।
  • दारवादियों के प्रमुख नेता थे- दादाभाई नैरोजी , सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, फिरोज शाह मेहता, गोविन्द रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय आदि।
  • दारवादियों का उद्देश्य संवैधानिक तरीके से भारत को स्वतंत्रता दिलाना था एवं अंग्रेज शासन की न्यायप्रियता में इन उदारवादियों की घोर आस्था थी।
  • 1905 0 से 1919 0 के चरण को नवराष्ट्रवाद अथवा गरमपन्थियों ¼Extremists½ का उदय काल माना जाता है। 
  • कांग्रेस के गरमपन्थी नेताओं में प्रमुख थे-बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय (लाल, बाल, पाल), अरविन्द घोष आदि।
  • इन नेताओं का विश्वास था कि भीख माँगने से कभी स्वतंत्रता नहीं मिल सकती। उसके लिए स्वावलम्बन, संगठन और संघर्ष की आवश्यकता होती है।

बंगाल-विभाजन (1905 0)

  • लाॅर्ड कर्जन ने बंगाल-विभाजन के निर्णय की घोषणा 20 जुलाई, 1905 को की।
  • 16 अक्टूबर, 1905 को बंगाल का विभाजन प्रभावी हुआ। इस दिन सम्पूर्ण बंगाल में विभाजन के विरोध में शोक मनाया गया तथा इसे काला दिवस के रूप में मनाया गया एवं स्वदेशी आंदोलन शुरू किया गया।
स्वदेशी व स्वराज (1905 0 तथा 1906 0)

  • लाल, बाल, पाल और अरविन्द घोष के प्रयासों के कारण कांग्रेस ने स्वदेशी एवं स्वराज की माँग रखी।
  • 1905 0 के बनारस अधिवेशन में गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में कांग्रेस ने स्वदेशी की माँग रखी।
  • 1906 0 में कलकत्ता अधिवेशन में दादा भाई नैरोजी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने स्वराज्य की माँग रखी।
  • स्वदेशी आन्दोलन के दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपने प्रसिद्ध गीत आमार सोनार बंगला की रचना की जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत बना।

मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 0)

  • इसके संस्थापकों में आगा खान, नवाब सलीमउल्ला और नवाब मोहसिन उल मुल्क प्रमुख थे, जिन्होंने 1906 0 में इसकी स्थापना की।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा को बढ़ाना, मुसलमानों के राजनैतिक अधिकारों की रक्षा करना तथा कांग्रेस के प्रति मुसलमानों में घृणा उत्पन्न करना था।

कांग्रेस का विभाजन (1907 0)

  • स्वदेशी के मुद्दे पर 1907 0 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस स्पष्ट रूप से उदारवादी (नरमपन्थी) एवं उग्रवादी (गरमपन्थी) नामक दो दलों में विभाजित हो गई। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी घोष ने की थी। 

दिल्ली दरबार (1911 0)

  • इंग्लैण्ड के सम्राट जाॅर्ज पंचम एवं महारानी मेरी के स्वागत में 1911 0 में दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन किया गया।
  • इस दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द करने तथा भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित करने की घोषणा हुई।

लखनऊ समझौता (1916 0)

  • ब्रिटेन और तुर्की के बीच युद्ध के कारण मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति विद्वेष की भावना उत्पन्न हो गई थी।
  • 1916 0 मेें लखनऊ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना तथा कांग्रेस के मध्य एक समझौता हुआ जिसकेे अन्तर्गत कांग्रेस व लीग ने मिलकर एक संयुक्त समिति की स्थापना की।
  • समझौते के तहत कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की माँग स्वीकार कर ली।
  • 1916 0 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अम्बिका चरण मजूमदार ने की।
  • लखनऊ अधिवेशन में ही कांग्रेस के दोनों दल पुनः एक हो गए।

होमरूल लीग आन्दोलन (1916 0)

  • श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के प्रयासों से संवैधानिक उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत में होमरूल लीग की स्थापना की गई।
  • बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को महाराष्ट्र में होमरूल लीग की स्थापना की, जिसका केन्द्र पूना था।
  • सितम्बर, 1916 में ऐनी बेसेन्ट द्वारा मद्रास में अखिल भारतीय होमयल लीग की स्थापना की गई तथा जार्ज अरुण्डेल को लीग का सचिव बनाया।
  • तिलक ने अपने पत्र मराठाकेसरीतथा ऐनी बेसेन्ट ने अपने पत्र काॅमनवीलन्यू इण्डियाके माध्यम से गृह शासन का प्रचार किया।

अगस्त घोषणा (1917 0)

  • भारत सचिव माण्टेग्यू द्वारा 20 अगस्त, 1917 को ब्रिटेन की काॅमन सभा में एक प्रस्ताव पढ़ा गया जिसमें भारत में प्रशासन की हर शाखा में भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने की बात कही गई थी। इसे माण्टेग्यू घोषणा कहा गया।

रौलेट एक्ट (1919 0)
  • इस एक्ट के द्वारा अंग्रेज सरकार जिसको चाहे जब तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द रख सकती थी। यह जनता की सामान्य स्वतन्त्रता पर प्रत्यक्ष कुठाराघात था।
  • इस एक्ट को बिना वकील तथा बिना दलील का कानून भी कहा गया। इसे काला अधिनियम एवं आतंकवादी अपराध अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल, 1919 को एक देशव्यापी हड़ताल करवाई गई। दिल्ली में इस आन्दोलन की बागडोर स्वामी श्रद्धानन्द जी ने सम्भाली।
  • गाँधी जी ने इस एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह किया किन्तु उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (13 अप्रैल, 1919 0)

  • रौलेट एक्ट के विरोध में जगह-जगह जन सभाएँ आयोजित की जा रही थी। इसी दौरान सरकार ने पंजाब के लोकप्रिय नेता डाॅ0 सैफुद्दीन किचलू और डाॅ0 सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया।
  • इसी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक जनसभा आयोजित की गई, जिस पर जनरल डायर ने गोली चलवा दी, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए।
  • इस हत्याकाण्ड में हंसराज नामक एक भारतीय ने डायर का सहयोग किया था।
  • भारतीय सदस्य शंकरन ने इस हत्याकाण्ड के विरोध में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया, रवीन्द्र नाथ टैगोर ने क्षुब्ध होकर अपनी सर की उपाधि, महात्मा गाँधी ने कैसर-ए-हिन्द की उपाधि तथा जमनालाल बजाज ने राय बहादुर की उपाधि वापस कर दी।
  • अंग्रेज सरकार ने बढ़ते जन असन्तोष के कारण लाॅर्ड हण्टर की अध्यक्षता में हण्टर आयोग गठित किया। 
  • 13 मार्च, 1940 को सरदार ऊधम सिंह ने कैक्सटन हाॅल (लन्दन) में एक मिटिंग को सम्बोधित कर रहे जनरल ओ डायर (जलियाँवाला बाग काण्ड के समय पंजाब के लैफ्टिनेन्ट गवर्नर) की गोली मारकर हत्या कर दी।

खिलाफत आन्दोलन (1920 0)
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके सहयोगियों द्वारा तुर्की पर किए गए अत्याचारों ने मुसलमानों को गहरा आघात पहुॅचाया।
  • इसके परिणामस्वरूप 1919 0 में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया।
  • इस आन्दोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • नवम्बर, 1919  में दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन में गाँधी जी को सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया।

असहयोग आन्दोलन (1920 0)

  • लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुए कलकत्ता अधिवेशन में गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। 
  • इस आन्दोलन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार और गाँधी जी द्वारा अपनी कैसर-ए-हिन्द की उपाधि वापस की गई।
  • 17 नवम्बर, 1921 को प्रिन्स आॅफ वेल्स के भारत आगमन पर सम्पूर्ण भारत में सार्वजनिक हड़ताल का आयोजन किया गया।फरवरी, 1922 में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने की योजना बनाई।
  • परन्तु उसके पूर्व ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चैरी-चैरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 को आन्दोलनकारी भीड़ ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अन्दर जिन्दा जला दिया।
  • इस घटना से गाँधी जी अत्यन्त आहत हो गए और उन्होंने 12 फरवरी, 1922 को असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया था। 
  • आन्दोलन समाप्त होते ही सरकार ने 10 मार्च, 1922 को गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया और असन्तोष बढ़ाने के अपराध में 6 वर्ष की कैद की सजा सुनाई।
स्वराज पार्टी (1923 0)

  • असहयोग आन्दोलन की समाप्ति के पश्चात 1923 0 में मोतीलाल नेहरू, सी0आर0दास एवं एन0सी0केलकर ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की। 
  • स्वराज पार्टी का उद्देश्य था-कांग्रेस के अन्दर रहकर चुनावों में हिस्सा लेना और विधानपरिषद् में स्वदेशी सरकार के गठन की माॅंग उठाना तथा माॅंगों के न मानने पर विधानपरिषद् की कार्यवाही में बाधा डालना।
  • 1925 0 में सी0आर0दास की मृत्यु हो जाने से स्वराज्य पार्टी शिथिल पड़ गई।

साइमन कमीशन (1927 0)

  • ब्रिटिश सरकार ने सर जान साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की, जिसमें सभी सदस्य ब्रिटेन के थे। 8 नवम्बर, 1927 को इस आयोग की स्थापना की घोषणा हुई।
  • इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि क्या यहाँ के लोगों को अधिक संवैधानिक अधिकार दिए जाएॅं और यदि दिए जाएॅ ंतो उनका स्वरूप क्या हो?
  • इस आयोग में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।
  • 3 फरवरी, 1928 को जब आयोग के सदस्य बम्बई पहुॅंचे तो इसके खिलाफ एक अभूतपूर्व हड़ताल का आयोजन किया गया। काले झण्डे तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए।
  • आयोग के विरोध के कारण लखनऊ में जवाहर लाल नेहरू, गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने लाठियाँ खाई। लाहौर में लाठी की गहरी चोट के कारण लाला लाजपत राय की अक्टूबर, 1928 में मृत्यु हो गई।
  • साइमन कमीशन ने 27 मई, 1930 को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।

नेहरू रिपोर्ट (1928 0)
  • साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर लार्ड वर्कन हैड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी।
  • इस चुनौती को स्वीकारते हुए 1928 0 में पं0 मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय समिति गठित हुई।
  • इस समिति ने 28 अगस्त, 1928 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।
  • मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।

जिन्ना फार्मूला (1928 0)

  • मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट में मुसलमानों के लिए प्रथम निर्वाचक मण्डल की सुविधा न दिए जाने के कारण मुसलमानों की 14 माॅंगों का प्रपत्र जारी किया, जिसे जिन्ना का चैदह सूत्रीय फार्मूला कहा जाता है।
  • इनमें प्रमुख माॅंगें थी-मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की सुविधा, केन्द्रीय तथा प्रान्तीय मन्त्रिमण्डलों में मुसलमानों के लिए एक-तिहाई प्रतिनिधित्व, मुस्लिम बहुमत वाले प्रान्तों का पुनर्गठन, राज्य की सभी सेवाओं में मुसलमानों के लिए पदों का आरक्षण आदि।

बारदोली सत्याग्रह (1928 0)

  • गुजरात में स्थित बारदोली के किसानों ने सरकार द्वारा बढ़ाए गए 30 प्रतिशत कर के विरोध में वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रह किया।
  • इस सत्याग्रह की सफलता के बाद यहाॅं की महिलाओं ने पटेल को सरदारकी उपाधि प्रदान की।

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 0)

  • 1929 0 के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता पं0 जवाहरलाल नेहरू ने की जिसमें पूर्ण स्वराज को अन्तिम लक्ष्य माना गया।
  • यह भी निश्चित किया गया कि हर साल 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा।

दाण्डी यात्रा (1930 0)

  • इसे नमक सत्याग्रह के रूप् में भी जाना जाता है।
  • अपने 78 अनुयायियों के साथ गाँधी जी ने साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से 12 मार्च, 1930 को दाण्डी के लिए यात्रा आरम्भ की। 
  • 24 दिन की लम्बी यात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल, 1930 को दाण्डी में पहुॅंचकर गाँधी जी ने सांकेतिक रूप से नमक कानून तोड़ा और सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया। 
  • पश्चिमोत्तर प्रान्त में खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन संचालित रहा। उनके द्वारा गठित खुदाई खिदमतगार‘ (लालकुर्ती) संगठन ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • जून, 1930 0 में कांग्रेस और उससे सम्बद्ध सभी संगठन गैर-कानूनी घोषित कर दिए गए तथा जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • पं0 भारत में दाण्डी मार्च का संचालन चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने किया था।

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

  • यह सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 से 13 जनवरी, 1931 तक लन्दन में आयोजित किया गया।
  • इसमें पहली बार भारतीयों को अंग्रेजों ने बराबरी का दर्जा प्रदान किया।
  • इस सम्मेलन में उदारवादी दल, मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, दलित वर्ग, व्यापारी वर्ग आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।

गाँधी-इर्विन समझौता (1931 0)

  • महात्मा गाँधी और वायसराय इर्विन के मध्य 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हुआ जिसे गाँधी-इर्विन समझौते के नाम से जाना जाता है। 
  • इस समझौते के फलस्वरूप् कांग्रेस ने अपनी तरफ से सविनय अवज्ञा आन्दोलन समाप्त करने की घोषणा की तथा गाँधी जी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार हुए। 
  • इसे दिल्ली समझौताभी कहा जाता है।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931 0)

  • यह सम्मेलन 7 सितम्बर, 1931 से 1 दिसम्बर, 1931 तक लन्दन में हुआ।
  • इस सम्मेलन में मदनमोहन मालवीय तथा सरोजिनी नायडू ने व्यक्तिगत रूप् से हिस्सा लिया था।
  • यह सम्मेलन साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण पूर्णतः असफल हो गया।
  • लन्दन से वापस आकर गाँधी जी ने पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।

साम्प्रदायिक पंचाट (1932 0)

  • 16 अगस्त, 1932 को विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने कम्यूनल अवार्डजारी किया।
  • इस पंचाट में पृथक् निर्वाचक पद्धति को न केवल मुसलमानों के लिए जारी रखा गया अपितु इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया गया। 
  • इसके विरोध में गाँधी जी ने जेल में ही 20 सितम्बर, 1932 को आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
  • मदन मोहन मालवीय, डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद और राजगोपालाचारी के प्रयत्नों से पाॅंच दिन प्श्चात् 25 सितम्बर, 1932 को गाँधी जी और दलित नेता अम्बेडकर में पूना समझौता सम्पन्न हुआ।

 पूना समझौता (25 सितम्बर, 1932)

  • गाँधी जी और अम्बेडकर के मध्य 25 सितम्बर, 1932 को एक समझौता हुआ जिसे पूना समझौताके नाम से जाना जाता है।
  • समझौते के अन्तर्गत अम्बेडकर ने हरिजनों के पृथक् प्रतिनिधित्व की माॅंग को वापस ले लिया। संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त को स्वीकारा गया। साथ ही हरिजनों के लिए सुरक्षित 75 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932 0)

  • 17 नवम्बर, 1932 से 24 दिसम्बर, 1932 तक आयोजित यह सम्मेलन लन्दन में कांग्रेस के बहिष्कार के फलस्वरूप् फीका साबित हुआ।
  • इस सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम, 1935 0 को अन्तिम रूप् दिया गया।

क्रान्तिकारी गतिविधियाँ
  • 1922 0 गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन समाप्त कर दिए जाने के पश्चात् देश में राजनीतिक गतिविधियों के अभाव में उत्साही नवयुवक निराशा में पुनः क्रान्तिकारी गतिविधियों की ओर उन्मुख हुए।
  • अक्टूबर, 1924 में शचीन्द्र सान्याल, जोगेशचन्द्र चटर्जी, रामप्रसाद बिस्मिल और चन्द्रशेखर आजाद ने कानपुर में एक क्रान्तिकारी संस्था हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन‘ (एच.आर.ए.) की स्थापना की।
  • इस संस्था (एच.आर.ए.) द्वारा 9 अगस्त, 1925 को उत्तर रेलवे के लखनऊ-सहारनपुर सम्भाग के काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन पर डकैती कर सरकारी खजाना लूटा गया था। यह घटना काकोरी काण्डके नाम से चर्चित है।
  • सरकार ने काकोरी काण्डके षड्यन्त्र में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, रोशनलाल और राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी दी।
  • चन्द्रशेखर आजार के नेतृत्व में सितम्बर, 1928 को दिल्ली में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) की स्थापना की गई थी।
  • साइमन कमीशन के विरोध के समय लाला लाजपत राय पर लाठियों से प्रहार करवाने वाले सहायक पुलिस अधीक्षक साण्डर्स (लाहौर) की 30 अक्टूबर, 1928 को भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और राजगुरू द्वारा की गई हत्या हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की क्रान्तिकारी गतिविधि थी।
  • हिन्दुस्तान सोशलिसट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो सदस्यों (भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त) ने 8 अप्रैल, 1929 को केन्द्रीय विधानमण्डल में बहस के दौरान बम फेंका, जिसका उद्देश्य सरकार को अपनी आवाज सुनने पर विवश करना था।
  • 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को ब्रिटिश सरकार द्वारा फाॅंसी दी गई। तत्पश्चात् हिन्दुस्तान सोशलिसट रिपब्लिकन एसोसिएशन के एकमात्र बचे सदस्य चन्दशेखर आजार 27 फरवरी, 1931 को पुलिस के साथ मुठभेडत्र में शहीद हुए।
  • ब्ंगाल में सूर्यसेन ने इण्डियन रिपब्लिकन आर्मी (आई.आर.ए.) की स्थापना की थी। यह संस्था चटगाँव में सक्रिय थी। इसने 1930 0 में चटगाँव शस्त्रागार लूट को अन्जाम दिया।
  • 16 फरवरी, 1931 को राजद्रोह के आरोप में सूर्यसेन बन्दी बना लिए गए तथा 12 फरवरी, 1934 को उन्हें फाॅंसी दे दी गई।
  • ब्रिटिश सरकार ने क्रान्तिकारियों का भयंकर दमन किया, जिसके फलस्वरूप् 1932 तक क्रान्तिकारी आन्दोलन बिखर गया।
  • 1943 0 में आजाद हिन्द फौज का पुनर्गठन सिंगापुर में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने किया।

1937 0 के चुनाव

  • 1937 0 के प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव हुए। कांग्रेस को संयुक्त प्रान्त, मद्रास, मध्य प्रदेश, बरार, उड़ीसा तथा बिहार में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
  • 1939 0 में द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारम्भ होने पर तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड लिनलिथगो ने भारतीय विधानमण्डल की सहमति के बिना भारत को युद्ध में शामिल कर लिया साथ ही देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई।
  • 15 नवम्बर, 1939 0 को प्रान्तीय कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस मन्त्रिमण्डल के त्याग-पत्र दिए जाने के बाद मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर, 1939 को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।

व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940)

  • गाँधी जी ने 17 अक्टूबर, 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया। इस आन्दोलन के चलते सत्याग्रही विनोबा भावे थे जिन्होंने पवनार में सत्याग्रह शुरू किया। दूसरे सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरू थे।
  • इस आन्दोलन को दिल्ली चलोआन्दोलन भी कहा गया। 

अगस्त प्रस्ताव (1940 0)

  • 8 अगस्त, 1940 को भारत के तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड लिनलिथगो ने अपने अगस्त प्रस्तावकी घोषणा की।
  • इस प्रस्ताव के मुख्य प्रावधान थे-
  • अतिशीघ्र वायसराय की सलाहकार काउन्सिल के विस्तार के साथ ही कार्यकारिणी में भारतीय प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाना।
  • अल्पसंख्यकों को विश्वास में लिए बिना किसी भी संवैधानिक परिवर्तन को लागू नहीं करना।
  • युद्ध सम्बन्धी विषयों पर विचार हेतु युद्ध परामर्श समितिका गठन किया जाएगा।
  • युद्ध के समाप्त होने पर विभिन्न भारतीय दलों के प्रतिनिधियों की सभा बुलाकर उनके संवैधानिक विकास पर विचार विमर्श करना।

 पाकिस्तान की माँग (19400)


·         मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षता करते हुए मोहम्मद अली जिन्ना ने 23 मार्च, 1940 को भारत से अलग मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की माँग की।
·         मुसलमानों के पृथक् राज्य का नाम पाकिस्तान हो यह विचार कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक अनुस्नातक विद्यार्थी चैधरी रहमत अली के मस्तिष्क में आया था।
·         सबसे पहले इकबाल ने 19300 में मुसलमानों के लिए पृथक् राज्यों का सुझाव दिया था।

क्रिप्स प्रस्ताव (19420)

·         ब्रिटिश सरकार ने भारत के राजनीतिक एवं वैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक मिशन भारत भेजा जिसे क्रिप्स मिशन के नाम से जाना जाता है।
·         22 मार्च, 1942 को भारत पहुँचकर सभी दलों से भेंट के पश्चात् कुछ प्रस्ताव किए गए जैसे- औपनिवेशिक राज्य की स्थापना, संविधान का गठन, प्रान्तों का पृथक् संविधान का गठन, प्रान्तों का पृथक् संविधान बनाने का अधिकार आदि।
·         कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने क्रिप्स प्रस्तावों को अस्वीकृत कर दिया।
·         गाँधी जी ने इस प्रस्ताव को पोस्ट डेटेड चेक (च्वेज कंजमक बीमुनम) कहा।

भारत छोड़ो आन्दोलन (19420)

·         अगस्त प्रस्ताव तथा क्रिप्स मिशन की असफलता तथा कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए आन्दोलन के दौरान राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की माँग को अस्वीकार किए जाने पर कांग्रेस ने बम्बई अधिवेशन में 8 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ोप्रस्ताव पारित किया।
·         गाँधी जी ने लोगों को करो या मरोका नारा दिया।
·         भारत छोड़ो आन्दोलन के 9 अगस्त, 1942 को प्रारम्भ होते ही गाँधी जी तथा अन्य शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
·         गाँधी जी को गिरफ्तार करने के बाद आगा खाॅं पैलेसमें नजरबन्द रखा गया।
·         गाँधी जी व वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भारत छोड़ो आन्दोलन का नेतृत्व युवाओं ने सम्भाला, परिणामतः आन्दोलन अहिंसक न रह सका।
·         आन्दोलन के प्रति ब्रिटिश सरकार की दमनात्मक नीति के विरुद्ध गाँधी जी ने आगा खाॅं पैलेस में 10 फरवरी, 19430 को 21 दिन के उपवास की घोषणा कर दी।
·         गाँधी जी को ब्रिटिश सरकार ने उनके खराब स्वास्थ्य के कारण 6 मई, 1944 को जेल से रिहा कर दिया।
·         मुस्लिम लीग ने भारत छोड़ो आन्दोलन का समर्थन तो नहीं किया, लेकिन तटस्थता का रुख अपनाया।

सी.आर. फार्मूला (19440)

·         देश की साम्प्रदायिक समस्या सुलझाने के उद्देश्य से 10 जुलाई, 944 को गाँधी जी की स्वीकृति से चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के समझौते की एक योजना प्रस्तुत की जो सी. आर. फार्मूला के नाम से जाना जाता है।

वेवेल योजना (19450)

·         अक्टूबर, 1943 में लाॅर्ड लिनलिथगो के स्थान पर लाॅर्ड वेवेल भारत के वायसराय बने। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से परामर्श के पश्चात् भारतीय समस्या को दूर करने के लिए 25 जून, 1945 को शिमलामें एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसे शिमला सम्मेलनके नाम से जाना जाता है।
·         वेवेल योजनामें कहा गया था कि वायसराय एवं प्रधान सेनापति के अतिरिक्त वायसराय की परिषद् के सभी सदस्य भारतीय होंगे। तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन को कांग्रेस और मुस्लिम लीग मेें विवाद हो जाने के कारण समाप्त घोषित करना पड़ा।
·         मुहम्मद अली जिन्ना का मत था कि वायसराय की कार्यकारिणी में मुस्लिम सदस्य, मुस्लिम लीग से ही चुने जाएॅं, जिसे वेवेल ने अस्वीकार कर दिया।

शिमला सम्मेलन (19450)

·        25 जून, 1945 को शिमला में एक सर्वदलीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम लीग द्वारा यह शर्त रखी गई कि वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् में नियुक्त होने वाले सभी मुस्लिम सदस्यों का चयन वह स्वयं करेगी।
·        मुस्लिम लीग का यही अड़ियल रुख 25 जून से 14 जुलाई तक चलने वाले शिमला सम्मेलन की असफलता का प्रमुख कारण बना।

कैबिनेट मिशन (19460)

·         जनवरी, 1946 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने भारतीय नेताओं से अनौपचारिक विचार-विमर्श हेतु एक संसदीय दल (कैबिनेट मिशन) भारत भेजने का निश्चय किया।
·         29 मार्च, 1946 को कैबिनेट मिशनभारत आया। 
·         कैबिनेट मिशन ने 16 मई, 1946 को अपने प्रस्तावों की घोषणा की।
·         कैबिनेट मिशन योजना के प्रस्तावों में प्रान्तों का विभाजन मुस्लिम लीग को सन्तुष्ट करने के लिए किया गया था, जिसे उन्हें मुस्लिम बहुल प्रान्तों में पूर्ण स्वायत्तता का उपभोग करने के लिए पाकिस्तान का सत्व प्राप्त हो सके।

एटली की घोषणा (19470)

·         ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने हाउस आॅफ काॅमन्स में 20 फरवरी, 1947 को एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि ‘‘अंगे्रज जून 1948 के पहले ही उत्तरदायी लोगों को सत्ता हस्तान्तरित करने के उपरान्त भारत छोड़ देंगे।‘‘

माउण्टबेटन योजना और स्वतन्त्रता प्राप्ति (19470)           

·         22 मार्च, 1947 को भारत के अन्तिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल (वायसराय) लार्ड माउण्टबेटन भारत आए।
·         3 जून, 1947 को लार्ड माउण्टबेटन द्वारा एक योजना की घोषणा की गई, जिसे माउण्टबेटन योजनाके नाम से जाना जाता है।
·         माउण्टबेटन योजनामूलतः भारत विभाजन की योजना थी। इसमें उस प्रक्रिया का उल्लेख था, जिसके अन्तर्गत अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को सत्ता हस्तान्तरित की जानी थी तथा मुस्लिम बहुल प्रान्तों को यह चुनना था कि वे भारत में रहेंगे या प्रस्तावित राज्य पाकिस्तान में सम्मिलित होंगे।
·         माउण्टबेटन योजना के आधार पर ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम, 1947 पारित किया, इस अधिनियम द्वारा 15 अगस्त, 1947 को भारत विभाजन हुआ तथा 14-15 अगस्त, 1947 को मध्यरात्रि के समय भारत स्वतन्त्र हो गया।
·         14 अगस्त, 1947 को मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने। लार्ड माउण्टबेटन को स्वतन्त्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया तथा पं0 जवाहर लाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया।
·         माउण्टबेटन योजना को बाल्कन योजनाभी कहा जाता है।

राष्ट्रीय एकता

·        राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य है राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा कायम रहना भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं में असमानता क्यों न हो।
·        भारत में कई धर्मों एवं जातियों के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन एवं आस्था में अन्तर तो है ही साथ ही उनकी भाषाएॅं भी अलग-अलग हैं। इन सबके बावजूद पूरे भातवर्ष के लोग भारतीयता की जिस भावना से ओत-प्रोत रहते हैं उसे राष्ट्रीय एकता की विश्वभर में सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है।
·        राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएॅं, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती है।
·        यद्यपि प्राचीन काल में हमारी भौगोलिक सीमाएॅं इतनी व्यापक नहीं थी और यहाॅं अनेक राज्य स्थापित थे तथापि हमारी संस्कृति और धार्मिक चेतना एक थी। कन्याकुम3ारी से हिमालय तक और असम से सिन्ध तक भारत की संस्कृति और धर्म एक थे। यही एकात्मकता हमारी राष्ट्रीय एकता की नींव थी।
·        भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी अलग परम्परा थी, रीति-रिवाज आस्थाएॅं थी, किन्तु समूचा भारत एक सांस्कृतिक सूत्र में आबद्ध था। इसी को अनेकता में एकता एवं विविधता मेें एकता कहा जाता है जो पूरी दुनिया में हमारी अलग पहचान स्थापित कर हमारे गौरव को बढ़ाता है।
·        लगभग एक हजार वर्षों की परतन्त्रता के बाद अनेक संघर्षों व बलिदानों के फलस्वरूप् हमें स्वाधीनता प्राप्त हुई। स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद हमारी एकता सुदृढ़ तो हुई परन्तु साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अज्ञानता और भाषागत अनेकता ने पूरे देश का आक्रान्त कर रखा है।
·        आतंकवाद आज न केवल सारे विष्व की समस्या है बल्कि हमारे देश में भी यह राष्ट्रीय एकता में बाधक बना हुआ है।
·        राष्ट्रीय एकता में बाधक अनेक शक्तियों में अलगाव की राजनीति भी एक है। यहाँ के राजनेता वोट बैंक बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़के वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं तो कभी किसी विशेष जाति, प्रान्त या भाषा के हिमायती बनकर देश को तोड़ते हैं।
·        अगर इन विघटनकारी और विध्वंसकारी प्रवृत्तियों पर पूरी तरह से नियन्त्रण नहीं किया गया तो भारत की एकता और अखण्डता पर खतरा बना ही रहेगा।

सर्वोदय एवं भू-दान

·         सर्वोदय समाज गाँधी की कल्पनाओं का समाज था, जिसके केन्द्र में भारतीय ग्राम व्यवस्था थी। विनोबा जी ने कहा है, सर्वोदय का अर्थ है-सर्वसेवा के माध्यम से समस्त प्राणियों की उन्नति। सर्वोदय के व्यावहारिक स्वरूप् को हम बहुत हद तक विनोबा जी के भू-दान आन्दोलन में देख सकते हैं।
·         सर्वोदयका आदर्श है अद्वैत और उसकी नीति है समन्वय। मानवकृत विषमता का वह अन्त करना चाहता है और प्राकृतिक विषमता को घटाना चाहता है। जीवमात्र के लिए समादर और प्रत्येक व्यक्ति के प्रति सहानुभूति ही सर्वोदय का मार्ग है। जीवमात्र के लिए सहानुभूति का यह अपूत जब जीवन में प्रवाहित होता है, तब सर्वोदय की लता में सुरभिपूर्ण सुमन खिलते हैं।
·         सर्वोदयऐसे वर्गविहीन, जातिविहीन और शोषणमुक्त समाज की स्थापना करना चाहता है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति और समूह को अपने सर्वांगीण विकास का साधन और अवसर मिले।
·         विनोबा कहते हैं-‘‘जब हम सर्वोदय का विचार करते हैं, तब ऊँच-नीच भावशाली वर्णव्यवस्था दीवारी की तरह सामने खड़ी हो जाती है। उसे तोड़े बिना सर्वोदय स्थापित नहीं होगा। सर्वोदय को सफल बनाने के लिए जातिभेजद मिटाना होगा और आर्थिक विषमता दूर करनी होगी। इनको मिटाने से ही सर्वोदय समाज बनेगा।‘‘

महात्मा गाँधी के मूल उपदेश

·         गाँधी जी ने अपने उपदेशों में सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शाकाहार, ईश्वर में आस्था एवं सादगी के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी।
·         गाँधी जी पर्यावरण के हितैषी थे और उनका मानना थ कि हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिसका कुप्रभाव प्रकृति पर पड़े।
·         जी ने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की।
·         गाँधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपनी दुष्टात्माओं, भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना आवश्यक है।
·         गाँधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है ‘‘बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है, में बदल दिया।‘‘
·         हालांकि गाँधी जी अहिंसा के सिद्धान्त के प्रवर्तक बिल्कुल नहीं थे फिर भी इसे बड़े पैमाने पर राजनैतिक क्षेत्र में इस्तेमाल करने वाले वे पहले व्यक्ति थे।
·         अहिंसा (दवदअपवसमदबम),अहिंसा (ंीपउें) और अप्रतिकर (दवदतमेपेजंदबम) का भारतीय धार्मिक विचारों में एक लम्बा इतिहास है और हिन्दू, बौद्ध, जैन, यहूदी और ईसाई समुदायों में बहुत-सी अवधारणाएॅं हैं।
·         गाँधी जी ने अपनी आत्मकथा द स्टोरी आॅफ माय एक्सपेरिमेन्ट्स विद टुथ‘ (ज्ीम ैजवतल व िडल म्गचमतपउमदजे ूपजी जतनजी) में दर्शन और अपने जीवन के मार्ग का वर्णन किया है।
·         गाँधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन में ऐसे लोगों को दूर ही रखा जो हथियार उठाने से डरते थे अथवा प्रतिरोध करने में स्वयं की अक्षमता का अनुभव करते थे। उन्होंने लिखा कि मैं मानता हूॅं कि जहाॅं डरपोक और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हिंसा के पक्ष में अपनी राय दूॅंगा।
·         गाँधी जी का कहना था कि शाकाहारी भोजन न केवल शरीर की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि यह आर्थिक प्रयोजन की भी पूर्ति करता है।
·         गाँधी जी शुरू से फलाहार (तिनजंतपंद) करते थे लेकिन अपने चिकित्सक की सलाह से बकरी का दूध पीना शुरू किया था। वे कभी भी दूध-उत्पाद का सेवन नहीं करते थे क्योंकि पहले उनका मानना थ कि दूध मनुष्य का प्राकृतिक आहार नहीं होता।
·         गाँधी ने ब्रह्मचर्य को भगवान् के करीब आने और अपने को पहचानने का प्राथमिक आधार के रूप में देखा था।
·         गाँधी जी का मानना था कि अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो उसे साधारण जीवन (ैपउचसम स्पमि) की ओर ही बढ़ना चाहिए जिसे वे ब्रह्मचर्यके लिए आवश्यक मानते थे।
·         गाँधी और उनके अनुयायियों ने अपने कपड़े सूत के द्वारा खुद बुनने के अभ्यास को अपनाया और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
·         उनका मत था कि अगर भारतीय अपने कपड़े खुद बनाने लगे, तो इससे भारत में बसे ब्रिटिशों को आर्थिक झटका लगेगा। फलस्वरूप, बाद में चरखा को भारतीय राष्ट्रीय झण्डा में शामिल किया गया, अपने साधारण जीवन को दर्शाने के लिए उन्होंने बाद में अपने बाकी जीवन में धोती पहनी।
·         गाँधी का जन्म हिन्दू धर्म में हुआ था। साधारण हिन्दू की तरह वे भी सारे धर्मों को समान रूप् से मानते थे और सारे प्रयासों, जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे अस्वीकार किया।
·         एक आँख के लिए दूसरी आँख पूरी दुनिया को अन्धा बना देगी। मरने के लिए मेरे पास बहुत से कारण हैं किन्तु मेरे पास किसी को मारने का कोई भी कारण नहीं है।
·         विज्ञान का युद्ध किसी व्यक्ति को तानाशाही, शुद्ध और सरलता की ओर ले जाता है।
·         अहिंसा का विज्ञान अकेले ही किसी व्यक्ति को शुद्ध और लोकतन्त्र के मार्ग की ओर ले जा सकता है।
·         गाँधी जी ने अपना राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले को माना था। इन्होंने ही गाँधी जी से मिलने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की थी।

COMMENTS

नाम

10 प्रेरणादायक सुविचार,1,31वें संविधान संशोधन से लेकर 60वें संविधान संशोधन तक,1,61वें संविधान संशोधन से लेकर 90वें संविधान संशोधन तक,1,91वें संविधान संशोधन से लेकर 93वें संविधान संशोधन तक,1,अनुच्छेद एवं सम्बन्धित विवरण,1,अब तक IPL के इतिहास में हुआ सुपर ओवर,1,आब्जेक्टिव कम्प्यूटर ज्ञान,2,उत्तर प्रदेश कैबिनेट की सूची,1,उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन,1,उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष,1,उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान (भाग-एक),1,ऑस्ट्रेलियन ओपन,1,कम्प्यूटर ज्ञान,1,कम्प्यूटर सम्बन्धी महत्वपूर्ण शब्दावली,1,कम्प्यूटर सामान्य ज्ञान,3,केन्द्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल,1,केन्द्रीय कैबिनेट की नवीनतम सूची,1,कोरोना वायरस क्या है? कोरोना वायरस के लक्षण,1,क्रिया,1,गज (हाथी) अभयारण्य,1,नारे,1,पहले संविधान संशोधन से लेकर 30वें संविधान संशोधन तक,1,प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु कम्प्यूटर नोट्स,1,प्रमुख मुहावरे व उनके अर्थ,1,प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान एव अभयारण्य,2,प्रमुख राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दिवसों की सूची,1,प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ,3,प्रशासक एवं मुख्यमंत्रियों की सूची,1,प्राचीन भारत का इतिहासः एक परिचय,1,फ्रेंच ओपन,1,बाघ अभयारण्य,1,ब्रिटिश राज मे जनजातीय विद्रोह,1,भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन,1,भारत का संवैधानिक विकास,1,भारत के राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्रियों की सूची,1,भारतीय अर्थव्यवस्था,1,भारतीय आँकड़े एक झलक,1,भारतीय परिवहन,1,भारतीय भूगोल,1,भारतीय राजव्यवस्था,1,भारतीय संविधान के संशोधन,4,मुहावरे,1,मुहावरे एवं लोकोक्ति में अन्तर,1,यू.एस. ओपन टेनिस – 2019,1,राष्ट्रीय आन्दोलन की महत्वपूर्ण तिथियाँ,1,राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन अवधि में बनी महत्वपूर्ण संस्थाएँ,1,राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन सम्बन्धी प्रमुख वचन,1,लोकोक्तियाँ (कहावतें),2,विंबलडन ओपन टेनिस,1,विधानपरिषद,1,विधानसभा एवं विधानपरिषद,2,विधानसभाओं में सदस्य संख्या,1,वृत्ति एवं काल,1,संविधान के भाग,1,संसदीय शब्दावली,1,समास,1,सुपर ओवर के नियम,1,सुविचार,1,स्वाधीनता संग्राम से सम्बन्धित पत्र/पत्रिकाएँ एवं पुस्तकें,1,हिन्दी के महत्वपूर्ण साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ,1,हिन्दी व्याकरण,7,IPL टीमों के शब्द संक्षेप,1,
ltr
item
Pariksha Sankalp: भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई0), बंगाल-विभाजन (1905 ई0), स्वदेशी व स्वराज (1905 ई0 तथा 1906 ई0), मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ई0), कांग्रेस का विभाजन (1907 ई0), दिल्ली दरबार (1911 ई0), लखनऊ समझौता (1916 ई0), होमरूल लीग आन्दोलन (1916 ई0). अगस्त घोषणा (1917 ई0), रौलेट एक्ट (1919 ई0), जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (13 अप्रैल, 1919 ई0), खिलाफत आन्दोलन (1920 ई0), असहयोग आन्दोलन (1920 ई0), स्वराज पार्टी (1923 ई0), साइमन कमीशन (1927 ई0), नेहरू रिपोर्ट (1928 ई0), जिन्ना फार्मूला (1928 ई0), बारदोली सत्याग्रह (1928 ई0), कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 ई0), दाण्डी यात्रा (1930 ई0), प्रथम गोलमेज सम्मेलन, गाँधी-इर्विन समझौता (1931 ई0), द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931 ई0), साम्प्रदायिक पंचाट (1932 ई0), पूना समझौता (25 सितम्बर, 1932), तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932 ई0), क्रान्तिकारी गतिविधियाँ, 1937 ई0 के चुनाव, व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940), अगस्त प्रस्ताव (1940 ई0),पाकिस्तान की माँग (1940 ई0), क्रिप्स प्रस्ताव (1942 ई0), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942 ई0), सी.आर. फार्मूला (1944 ई0), वेवेल योजना (1945 ई0), शिमला सम्मेलन (1945 ई0), कैबिनेट मिशन (1946 ई0), एटली की घोषणा (1947 ई0), माउण्टबेटन योजना और स्वतन्त्रता प्राप्ति (1947 ई0), राष्ट्रीय एकता, सर्वोदय एवं भू-दान, महात्मा गाँधी के मूल उपदेश
Pariksha Sankalp
https://parikshasankalp.blogspot.com/2017/03/blog-post.html
https://parikshasankalp.blogspot.com/
https://parikshasankalp.blogspot.com/
https://parikshasankalp.blogspot.com/2017/03/blog-post.html
true
6251081085644214463
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy