भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई0), बंगाल-विभाजन (1905 ई0), स्वदेशी व स्वराज (1905 ई0 तथा 1906 ई0), मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ई0), कांग्रेस का विभाजन (1907 ई0), दिल्ली दरबार (1911 ई0), लखनऊ समझौता (1916 ई0), होमरूल लीग आन्दोलन (1916 ई0). अगस्त घोषणा (1917 ई0), रौलेट एक्ट (1919 ई0), जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (13 अप्रैल, 1919 ई0), खिलाफत आन्दोलन (1920 ई0), असहयोग आन्दोलन (1920 ई0), स्वराज पार्टी (1923 ई0), साइमन कमीशन (1927 ई0), नेहरू रिपोर्ट (1928 ई0), जिन्ना फार्मूला (1928 ई0), बारदोली सत्याग्रह (1928 ई0), कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 ई0), दाण्डी यात्रा (1930 ई0), प्रथम गोलमेज सम्मेलन, गाँधी-इर्विन समझौता (1931 ई0), द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931 ई0), साम्प्रदायिक पंचाट (1932 ई0), पूना समझौता (25 सितम्बर, 1932), तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932 ई0), क्रान्तिकारी गतिविधियाँ, 1937 ई0 के चुनाव, व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940), अगस्त प्रस्ताव (1940 ई0),पाकिस्तान की माँग (1940 ई0), क्रिप्स प्रस्ताव (1942 ई0), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942 ई0), सी.आर. फार्मूला (1944 ई0), वेवेल योजना (1945 ई0), शिमला सम्मेलन (1945 ई0), कैबिनेट मिशन (1946 ई0), एटली की घोषणा (1947 ई0), माउण्टबेटन योजना और स्वतन्त्रता प्राप्ति (1947 ई0), राष्ट्रीय एकता, सर्वोदय एवं भू-दान, महात्मा गाँधी के मूल उपदेश
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई0)
- कांग्रेस की स्थापना 1885 ई0 में ए0ओ0ह्यूम द्वारा की गई थी जो कि एक अंग्रेज सेवानिवृत्त
प्रशासनिक अधिकारी था।
- इसका प्रथम अधिवेशन दिसम्बर 1885 ई0 में मुम्बई में हुआ जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चन्द्र
बनर्जी ने की।
- 1885 ई0 में कांग्रेस की स्थापना के बाद अगले बीस वर्षों तक इस पर ऐसे गुट का प्रभाव था
जिसे ‘उदारवादी गुट‘ (Moderates) कहा जाता था।
- उदारवादियों के प्रमुख नेता थे- दादाभाई नैरोजी , सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, फिरोज शाह मेहता, गोविन्द रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय आदि।
- उदारवादियों का उद्देश्य संवैधानिक तरीके से भारत को स्वतंत्रता
दिलाना था एवं अंग्रेज शासन की न्यायप्रियता में इन उदारवादियों की घोर आस्था
थी।
- 1905 ई0 से 1919 ई0 के चरण को नवराष्ट्रवाद अथवा गरमपन्थियों ¼Extremists½ का उदय काल माना जाता है।
- कांग्रेस के गरमपन्थी नेताओं में प्रमुख थे-बाल
गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय (लाल, बाल, पाल), अरविन्द घोष आदि।
- इन नेताओं का विश्वास था कि भीख माँगने से कभी
स्वतंत्रता नहीं मिल सकती। उसके लिए स्वावलम्बन, संगठन और संघर्ष की आवश्यकता होती है।
- लाॅर्ड कर्जन ने बंगाल-विभाजन के निर्णय की
घोषणा 20 जुलाई, 1905 को की।
- 16 अक्टूबर, 1905 को बंगाल का विभाजन प्रभावी हुआ। इस दिन
सम्पूर्ण बंगाल में विभाजन के विरोध में शोक मनाया गया तथा इसे ‘काला दिवस‘ के रूप में मनाया गया एवं स्वदेशी आंदोलन शुरू
किया गया।
- लाल, बाल, पाल और अरविन्द घोष के प्रयासों के कारण कांग्रेस ने स्वदेशी एवं स्वराज की माँग रखी।
- 1905 ई0 के बनारस अधिवेशन में गोपाल कृष्ण गोखले की
अध्यक्षता में कांग्रेस ने स्वदेशी की माँग रखी।
- 1906 ई0 में कलकत्ता अधिवेशन में दादा भाई नैरोजी की
अध्यक्षता में कांग्रेस ने स्वराज्य की माँग रखी।
- स्वदेशी आन्दोलन के दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर ने
अपने प्रसिद्ध गीत ‘आमार सोनार बंगला‘ की रचना की जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रीय
गीत बना।
- इसके संस्थापकों में आगा खान, नवाब सलीमउल्ला और नवाब मोहसिन उल मुल्क प्रमुख थे, जिन्होंने 1906 ई0 में इसकी स्थापना की।
- मुस्लिम लीग की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य
ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा को बढ़ाना, मुसलमानों के राजनैतिक अधिकारों की रक्षा करना तथा कांग्रेस के प्रति
मुसलमानों में घृणा उत्पन्न करना था।
- स्वदेशी के मुद्दे पर 1907 ई0 में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस
स्पष्ट रूप से उदारवादी (नरमपन्थी) एवं उग्रवादी (गरमपन्थी) नामक दो दलों में
विभाजित हो गई। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी घोष ने की थी।
- इंग्लैण्ड के सम्राट जाॅर्ज पंचम एवं महारानी
मेरी के स्वागत में 1911 ई0 में दिल्ली में एक
भव्य दरबार का आयोजन किया गया।
- इस दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द करने तथा
भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरित करने की घोषणा हुई।
- ब्रिटेन और तुर्की के बीच युद्ध के कारण
मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति विद्वेष की भावना उत्पन्न हो गई थी।
- 1916 ई0 मेें लखनऊ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली
जिन्ना तथा कांग्रेस के मध्य एक समझौता हुआ जिसकेे अन्तर्गत कांग्रेस व लीग
ने मिलकर एक ‘संयुक्त समिति‘ की स्थापना की।
- समझौते के तहत कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की
साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की माँग स्वीकार कर ली।
- 1916 ई0 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अम्बिका
चरण मजूमदार ने की।
- लखनऊ अधिवेशन में ही कांग्रेस के दोनों दल पुनः
एक हो गए।
- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के प्रयासों से संवैधानिक
उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत में होमरूल लीग की
स्थापना की गई।
- बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को महाराष्ट्र में होमरूल लीग की स्थापना की, जिसका केन्द्र पूना था।
- सितम्बर, 1916 में ऐनी बेसेन्ट
द्वारा मद्रास में अखिल भारतीय होमयल लीग की स्थापना की गई तथा जार्ज
अरुण्डेल को लीग का सचिव बनाया।
- तिलक ने अपने पत्र ‘मराठा‘ व ‘केसरी‘ तथा ऐनी बेसेन्ट ने अपने पत्र ‘काॅमनवील‘ व ‘न्यू इण्डिया‘ के माध्यम से गृह
शासन का प्रचार किया।
- भारत सचिव माण्टेग्यू द्वारा 20 अगस्त, 1917 को ब्रिटेन की काॅमन सभा में एक प्रस्ताव पढ़ा
गया जिसमें भारत में प्रशासन की हर शाखा में भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व
दिए जाने की बात कही गई थी। इसे माण्टेग्यू घोषणा कहा गया।
- इस एक्ट के द्वारा अंग्रेज सरकार जिसको चाहे जब
तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द रख सकती थी। यह जनता की सामान्य
स्वतन्त्रता पर प्रत्यक्ष कुठाराघात था।
- इस एक्ट को ‘बिना वकील‘ तथा ‘बिना दलील‘ का कानून भी कहा गया। इसे ‘काला अधिनियम‘ एवं ‘आतंकवादी अपराध अधिनियम‘ के नाम से भी जाना जाता है।
- इस एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल, 1919 को एक देशव्यापी हड़ताल करवाई गई। दिल्ली में इस
आन्दोलन की बागडोर स्वामी श्रद्धानन्द जी ने सम्भाली।
- गाँधी जी ने इस एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह किया
किन्तु उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- रौलेट एक्ट के विरोध में जगह-जगह जन सभाएँ
आयोजित की जा रही थी। इसी दौरान सरकार ने पंजाब के लोकप्रिय नेता डाॅ0 सैफुद्दीन किचलू और डाॅ0 सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया।
- इसी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक जनसभा आयोजित की
गई, जिस पर जनरल डायर ने गोली चलवा दी, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए।
- इस हत्याकाण्ड में हंसराज नामक एक भारतीय ने
डायर का सहयोग किया था।
- भारतीय सदस्य शंकरन ने इस हत्याकाण्ड के विरोध
में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया, रवीन्द्र नाथ टैगोर ने क्षुब्ध होकर अपनी ‘सर‘ की उपाधि, महात्मा गाँधी ने ‘कैसर-ए-हिन्द‘ की उपाधि तथा जमनालाल बजाज ने ‘राय बहादुर‘ की उपाधि वापस कर दी।
- अंग्रेज सरकार ने बढ़ते जन असन्तोष के कारण
लाॅर्ड हण्टर की अध्यक्षता में ‘हण्टर आयोग‘ गठित किया।
- 13 मार्च, 1940 को सरदार ऊधम सिंह ने कैक्सटन हाॅल (लन्दन) में एक
मिटिंग को सम्बोधित कर रहे जनरल ओ डायर (जलियाँवाला बाग काण्ड के समय पंजाब के
लैफ्टिनेन्ट गवर्नर) की गोली मारकर हत्या कर दी।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके
सहयोगियों द्वारा तुर्की पर किए गए अत्याचारों ने मुसलमानों को गहरा आघात
पहुॅचाया।
- इसके परिणामस्वरूप 1919 ई0 में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया।
- इस आन्दोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नवम्बर, 1919 में दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन में गाँधी
जी को सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया।
- लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुए कलकत्ता अधिवेशन
में गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव पारित हुआ।
- इस आन्दोलन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा
शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार और गाँधी जी
द्वारा अपनी ‘कैसर-ए-हिन्द‘ की उपाधि वापस की गई।
- 17 नवम्बर, 1921 को प्रिन्स आॅफ वेल्स के भारत आगमन पर सम्पूर्ण भारत
में सार्वजनिक हड़ताल का आयोजन किया गया।फरवरी, 1922 में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने
की योजना बनाई।
- परन्तु उसके पूर्व ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर
जिले में स्थित चैरी-चैरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 को आन्दोलनकारी भीड़ ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अन्दर जिन्दा जला दिया।
- इस घटना से गाँधी जी अत्यन्त आहत हो गए और
उन्होंने 12 फरवरी, 1922 को असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया था।
- आन्दोलन समाप्त होते ही सरकार ने 10 मार्च, 1922 को गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया और असन्तोष बढ़ाने के
अपराध में 6 वर्ष की कैद की सजा सुनाई।
- असहयोग आन्दोलन की समाप्ति के पश्चात 1923 ई0 में मोतीलाल नेहरू, सी0आर0दास एवं एन0सी0केलकर ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की।
- स्वराज पार्टी का उद्देश्य था-कांग्रेस के अन्दर
रहकर चुनावों में हिस्सा लेना और विधानपरिषद् में स्वदेशी सरकार के गठन की
माॅंग उठाना तथा माॅंगों के न मानने पर विधानपरिषद् की कार्यवाही में बाधा
डालना।
- 1925 ई0 में सी0आर0दास की मृत्यु हो जाने से स्वराज्य पार्टी शिथिल पड़
गई।
- ब्रिटिश सरकार ने सर जान साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की, जिसमें सभी सदस्य ब्रिटेन के थे। 8 नवम्बर, 1927 को इस आयोग की स्थापना की घोषणा हुई।
- इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि
क्या यहाँ के लोगों को अधिक संवैधानिक अधिकार दिए जाएॅं और यदि दिए जाएॅ ंतो
उनका स्वरूप क्या हो?
- इस आयोग में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया
गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।
- 3 फरवरी, 1928 को जब आयोग के सदस्य बम्बई पहुॅंचे तो इसके खिलाफ एक
अभूतपूर्व हड़ताल का आयोजन किया गया। काले झण्डे तथा साइमन वापस जाओ के नारे
लगाए गए।
- आयोग के विरोध के कारण लखनऊ में जवाहर लाल नेहरू, गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने लाठियाँ खाई। लाहौर में
लाठी की गहरी चोट के कारण लाला लाजपत राय की अक्टूबर, 1928 में मृत्यु हो गई।
- साइमन कमीशन ने 27 मई, 1930 को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।
- साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर लार्ड वर्कन
हैड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी।
- इस चुनौती को स्वीकारते हुए 1928 ई0 में पं0 मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय समिति गठित
हुई।
- इस समिति ने 28 अगस्त, 1928 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे नेहरू रिपोर्ट के
नाम से जाना जाता है।
- मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने
नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
- मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने
नेहरू रिपोर्ट में मुसलमानों के लिए प्रथम निर्वाचक मण्डल की सुविधा न दिए
जाने के कारण मुसलमानों की 14 माॅंगों का प्रपत्र जारी किया, जिसे जिन्ना का चैदह सूत्रीय फार्मूला कहा जाता है।
- इनमें प्रमुख माॅंगें थी-मुसलमानों के लिए पृथक
निर्वाचन की सुविधा, केन्द्रीय तथा प्रान्तीय मन्त्रिमण्डलों में
मुसलमानों के लिए एक-तिहाई प्रतिनिधित्व, मुस्लिम बहुमत वाले प्रान्तों का पुनर्गठन, राज्य की सभी सेवाओं में मुसलमानों के लिए पदों का
आरक्षण आदि।
- गुजरात में स्थित बारदोली के किसानों ने सरकार
द्वारा बढ़ाए गए 30 प्रतिशत कर के विरोध में वल्लभ भाई पटेल के
नेतृत्व में सत्याग्रह किया।
- इस सत्याग्रह की सफलता के बाद यहाॅं की महिलाओं
ने पटेल को ‘सरदार‘ की उपाधि प्रदान की।
- 1929 ई0 के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता पं0 जवाहरलाल नेहरू ने की जिसमें पूर्ण स्वराज को अन्तिम लक्ष्य माना गया।
- यह भी निश्चित किया गया कि हर साल 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा।
- इसे नमक सत्याग्रह के रूप् में भी जाना जाता है।
- अपने 78 अनुयायियों के साथ गाँधी
जी ने साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से 12 मार्च, 1930 को दाण्डी के लिए यात्रा आरम्भ की।
- 24 दिन की लम्बी यात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल, 1930 को दाण्डी में पहुॅंचकर गाँधी जी ने सांकेतिक रूप से नमक कानून तोड़ा और
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
- पश्चिमोत्तर प्रान्त में खान अब्दुल गफ्फार खान
के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन संचालित रहा। उनके द्वारा गठित ‘खुदाई खिदमतगार‘ (लालकुर्ती) संगठन ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई।
- जून, 1930 ई0 में कांग्रेस और उससे सम्बद्ध सभी संगठन गैर-कानूनी घोषित कर दिए गए तथा
जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर लिया गया।
- पं0 भारत में दाण्डी मार्च का
संचालन चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने किया था।
- यह सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 से 13 जनवरी, 1931 तक लन्दन में आयोजित किया
गया।
- इसमें पहली बार भारतीयों को अंग्रेजों ने बराबरी
का दर्जा प्रदान किया।
- इस सम्मेलन में उदारवादी दल, मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, दलित वर्ग, व्यापारी वर्ग आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।
- महात्मा गाँधी और वायसराय इर्विन के मध्य 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हुआ जिसे गाँधी-इर्विन समझौते के
नाम से जाना जाता है।
- इस समझौते के फलस्वरूप् कांग्रेस ने अपनी तरफ से
सविनय अवज्ञा आन्दोलन समाप्त करने की घोषणा की तथा गाँधी जी द्वितीय गोलमेज
सम्मेलन में भाग लेने को तैयार हुए।
- इसे ‘दिल्ली समझौता‘ भी कहा जाता है।
- यह सम्मेलन 7 सितम्बर, 1931 से 1 दिसम्बर, 1931 तक लन्दन में हुआ।
- इस सम्मेलन में मदनमोहन मालवीय तथा सरोजिनी
नायडू ने व्यक्तिगत रूप् से हिस्सा लिया था।
- यह सम्मेलन साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के
कारण पूर्णतः असफल हो गया।
- लन्दन से वापस आकर गाँधी जी ने पुनः सविनय
अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
- 16 अगस्त, 1932 को विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय
पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने ‘कम्यूनल अवार्ड‘ जारी किया।
- इस पंचाट में पृथक् निर्वाचक पद्धति को न केवल
मुसलमानों के लिए जारी रखा गया अपितु इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया
गया।
- इसके विरोध में गाँधी जी ने जेल में ही 20 सितम्बर, 1932 को आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
- मदन मोहन मालवीय, डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद और राजगोपालाचारी के प्रयत्नों से पाॅंच दिन प्श्चात् 25 सितम्बर, 1932 को गाँधी जी और दलित नेता अम्बेडकर में पूना
समझौता सम्पन्न हुआ।
- गाँधी जी और अम्बेडकर के मध्य 25 सितम्बर, 1932 को एक समझौता हुआ जिसे ‘पूना समझौता‘ के नाम से जाना जाता है।
- समझौते के अन्तर्गत अम्बेडकर ने हरिजनों के
पृथक् प्रतिनिधित्व की माॅंग को वापस ले लिया। संयुक्त निर्वाचन के सिद्धान्त
को स्वीकारा गया। साथ ही हरिजनों के लिए सुरक्षित 75 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया।
- 17 नवम्बर, 1932 से 24 दिसम्बर, 1932 तक आयोजित यह सम्मेलन लन्दन में कांग्रेस के बहिष्कार के फलस्वरूप् फीका
साबित हुआ।
- इस सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई0 को अन्तिम रूप् दिया गया।
- 1922 ई0 गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन समाप्त कर दिए
जाने के पश्चात् देश में राजनीतिक गतिविधियों के अभाव में उत्साही नवयुवक
निराशा में पुनः क्रान्तिकारी गतिविधियों की ओर उन्मुख हुए।
- अक्टूबर, 1924 में शचीन्द्र सान्याल, जोगेशचन्द्र चटर्जी, रामप्रसाद बिस्मिल और
चन्द्रशेखर आजाद ने कानपुर में एक क्रान्तिकारी संस्था ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन‘ (एच.आर.ए.) की स्थापना
की।
- इस संस्था (एच.आर.ए.) द्वारा 9 अगस्त, 1925 को उत्तर रेलवे के लखनऊ-सहारनपुर सम्भाग के
काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन पर डकैती कर सरकारी खजाना लूटा गया था। यह घटना ‘काकोरी काण्ड‘ के नाम से चर्चित है।
- सरकार ने ‘काकोरी काण्ड‘ के षड्यन्त्र में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, रोशनलाल और राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी दी।
- चन्द्रशेखर आजार के नेतृत्व में सितम्बर, 1928 को दिल्ली में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) की
स्थापना की गई थी।
- साइमन कमीशन के विरोध के समय लाला लाजपत राय पर
लाठियों से प्रहार करवाने वाले सहायक पुलिस अधीक्षक साण्डर्स (लाहौर) की 30 अक्टूबर, 1928 को भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और
राजगुरू द्वारा की गई हत्या हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की
क्रान्तिकारी गतिविधि थी।
- हिन्दुस्तान सोशलिसट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो
सदस्यों (भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त) ने 8 अप्रैल, 1929 को केन्द्रीय विधानमण्डल में बहस के दौरान बम फेंका, जिसका उद्देश्य सरकार को अपनी आवाज सुनने पर विवश करना था।
- 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को
ब्रिटिश सरकार द्वारा फाॅंसी दी गई। तत्पश्चात् हिन्दुस्तान सोशलिसट
रिपब्लिकन एसोसिएशन के एकमात्र बचे सदस्य चन्दशेखर आजार 27 फरवरी, 1931 को पुलिस के साथ मुठभेडत्र में शहीद हुए।
- ब्ंगाल में सूर्यसेन ने इण्डियन रिपब्लिकन आर्मी
(आई.आर.ए.) की स्थापना की थी। यह संस्था चटगाँव में सक्रिय थी। इसने 1930 ई0 में चटगाँव शस्त्रागार लूट को अन्जाम दिया।
- 16 फरवरी, 1931 को राजद्रोह के आरोप में सूर्यसेन बन्दी बना लिए
गए तथा 12 फरवरी, 1934 को उन्हें फाॅंसी दे
दी गई।
- ब्रिटिश सरकार ने क्रान्तिकारियों का भयंकर दमन
किया, जिसके फलस्वरूप् 1932 तक क्रान्तिकारी
आन्दोलन बिखर गया।
- 1943 ई0 में आजाद हिन्द फौज का पुनर्गठन सिंगापुर में नेताजी
सुभाषचन्द्र बोस ने किया।
- 1937 ई0 के प्रान्तीय विधानसभाओं के चुनाव हुए। कांग्रेस
को संयुक्त प्रान्त, मद्रास, मध्य प्रदेश, बरार, उड़ीसा तथा बिहार में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
- 1939 ई0 में द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारम्भ होने पर
तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड लिनलिथगो ने भारतीय विधानमण्डल की सहमति के बिना
भारत को युद्ध में शामिल कर लिया साथ ही देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई।
- 15 नवम्बर, 1939 ई0 को प्रान्तीय
कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस मन्त्रिमण्डल के
त्याग-पत्र दिए जाने के बाद मुस्लिम लीग ने 22 दिसम्बर, 1939 को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया।
- गाँधी जी ने 17 अक्टूबर, 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया। इस आन्दोलन के चलते
सत्याग्रही विनोबा भावे थे जिन्होंने पवनार में सत्याग्रह शुरू किया। दूसरे
सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरू थे।
- इस आन्दोलन को ‘दिल्ली चलो‘ आन्दोलन भी कहा गया।
- 8 अगस्त, 1940 को भारत के तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड लिनलिथगो ने
अपने ‘अगस्त प्रस्ताव‘ की घोषणा की।
- इस प्रस्ताव के मुख्य प्रावधान थे-
- अतिशीघ्र
वायसराय की सलाहकार काउन्सिल के विस्तार के साथ ही कार्यकारिणी में भारतीय
प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाना।
- अल्पसंख्यकों
को विश्वास में लिए बिना किसी भी संवैधानिक परिवर्तन को लागू नहीं करना।
- युद्ध
सम्बन्धी विषयों पर विचार हेतु ‘युद्ध परामर्श समिति‘ का गठन किया जाएगा।
- युद्ध
के समाप्त होने पर विभिन्न भारतीय दलों के प्रतिनिधियों की सभा बुलाकर उनके
संवैधानिक विकास पर विचार विमर्श करना।
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